16 दिसंबर 2013


आज सुबह से ही ठंड ज़्यादा थी। आंख खुल गई थी जल्दी पर आलस बहुत आ रहा था । उसपे तुम्हारी बातें…ऐसे मे कहाँ कोई काम सूझता है। इश्क़ सच में कभी कभी निकम्मा बना देता है।तुमसे बातें खत्म हुईं, जो वैसे तो होती नहीं हैं पर उन्हें करना पड़ता है,। मैं उठी.. बाहर आकर देखा तो आज शायद इस साल की सबसे तेज़ ठंड महसूस हुई। कोहरा भी था। सोचने लगी की ऐसा क्या है आज ख़ास जिससे मौसम बदल गया इतना। फिर याद आया कि ओह..आज के दिन ने एक साल पहले तूफान ला दिया था। आज तो 16 दिसंबर है। निर्भया के साथ हुए उस हादसे का दिन। गई थी कुछ दिन पहले दिल्ली की रात का जायज़ा लेने। मज़ेदार बात ये थी कि उस दिन भी सब कह रहे थे कि किसी और को भी साथ लेकर जाओ क्योंकि रात का शूट है। दिखाना था कि इस एक साल में कितनी बदली दिल्ली और कितने बदले हम। शुरुआत ऑफिस के इस बात से ही हो गई थी। रात में मैं सिर्फ कैमरामैन के साथ नहीं जा सकती थी क्योंकि दिल्ली की रातें डरावनी होती हैं…या यूं कहीं कि वहशी….

सोचती हूं तो बहुत अजीब सा लगता है। याद है वो दिन, जब सुना था इसे। सोचने बैठी तो पूरे शरीर में कंपकंपी होने लगी। हंगामा ऐसा हुआ जो अपने आप में हैरान करने वाला था। अद्भुत सा…अजूबा सा….लग रहा था कि अबकी बार एक नई क्रांति आ ही जाएगी। आज जब एक साल बीत चुका है तो सोचने पे मजबूर हो रही हूं कि क्या 16 दिसंबर एक जयंती के रुप में रह जाएगा? बदला तो कुछ खास नहीं। मैं बता रही हूं तुमको, कुछ भी नहीं बदला है। निर्भया की तरह हो सकता है कि सांसे ना बंद हों, पर ज़िदा रहने के लिए कुछ बचता भी नहीं है।सुनी बातें हर कोई सुना देता है, पर जिसके साथ जब जो हुआ, उस मन के अनसुने भाव तक कोई कहां पहुंच पाता है? जाने वाले के बाद जीने के लिए जो बच जाते हैं, उनकी ज़िंदगी भी अपने आप को बैसाखी के सहारे घसीटती है। किसी अपने को खोना इक ऐसा एहसास है, जिससे जो जब तक बचा रहे, उतना ही भाग्यशाली..

तुम आ जाओ अब बस। मुझे अच्छा नहीं लगता तुम बिन रहना इस समाज में। कोई ऐसा वहशी हाथ मुझे छुए, उससे पहले मैं सिमट जाना चाहती हूं तुम्हारी बाहों में…

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0 thoughts on “16 दिसंबर 2013

  1. shweta rocks on her view about nirbhya episode of 16th Dec.good to see honest journalist expressing there view on women issues in India.keep your integrity intact Shweta, we are with you………… Atul and CRC team

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