कहो ना प्यार है…


मर्द को दर्द नहीं होता, ये तो अमिताभ बच्चन ने आ कर बता दिया…बताना भी नहीं आता, छुपाना भी नहीं आता…ये बात भी बाज़ीगर फिल्म से पता चल गई…पर जो एक बात समझ में नहीं आई वो ये कि इस सारी समस्या से मर्द ही क्यूं जूझते हैं? खुद को ही देख लो…पूरे 5 साल हो चुके हैं हमें एक रिश्ते में आये हुए…पर तुमको आज तक कुछ भी जताना नहीं आया। क्या तुम्हें नहीं पता कि किसी भी लड़की को क्या चाहिये होता है? तुमने मुझे ना जाने क्या क्या लाकर नहीं दिया…साड़ी, सूट, गहने, सैंडल्स…समझती हूँ कि ये भी एक तरीका होता है प्यार जताने का पर औरत के मन की भूख इससे ज्यादा ही होती है। उसका मन बेहद ही लालची होता है। जैसे बहुत तेज़ प्यास लगी हो तो पानी के सिवा उसको कोई भी नहीं बूझा सकता, ठीक वैसे ही मन की प्यास भी कुछ शब्दों से ही मिटती है। उन शब्दों से, जिन्हें सुन के इतराया जा सके। किसी भी भाव को महसूस करने के और करवाने के बहुत सारे तरीके हैं जैसे सब्ज़ी बनाने के भी बहुत होते  हैं, पर हम उसी स्टाइल में सब्ज़ी बनाते हैं जिसका टेस्ट हमको जम जाता है या जिससे मुंह का स्वाद तृप्त होता है। बस… एकदम ऐसा ही मन का स्वाद भी होता है, जिसको संतोष कुछ शब्दों से ही मिलता है। तुम्हारे इश्क की धूप को मैंने अपने पूरे बदन पे मल लिया है पर वो खुशबु अभी आनी बाकी है, जो मुझे ज़िंदगी भर के लिए महका जाए। कई बार सोचती हूं, क्यों नहीं बोल पाते हो तुम? क्यों नहीं जता पाते हो? आंखों में जो बात दिखती रहती है, उसे मेरे कानों को सुनने का मौका कब मिलेगा? कह दो… बहुत सारे मर्दों को ये भ्रम है कि प्यार जता दिया तो कमज़ोर दिखेंगे…पर मेरे आदमी में मैं ऐसा वहम पालना नहीं चाहती। कुछ मत सोचो…सब बीत जाता है…सब रीत जाता है…कुछ रह जाता है या कुछ रह जाएगा तो हम तुम। देखा है कई लोगों को, जो जताते नहीं…जो जता नहीं पाए। अपने विशाल को ही देख लो। कितना समझाती थी उसे कि हेमा को बताया कर कि तू उसको कितना प्यार करता है और हर बार वो यही कह के चुप करवा देता था मुझे कि दीदी उसको पता है मेरे दुलार के बारे में। उसमें बोलना क्या? अब जब भी मिलता है तो हर बार मुझे बताता है कि वो हेमा को बहुत प्यार करता था, बस कभी कह नहीं पाया। यही तो होता है ना, शब्द सही कानों में ना पड़े तो वो अपने अर्थ खो बैठते हैं। पता तो मुझे भी है कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो पर मैं नहीं चाहती कि कभी तुमको भी विशाल की तरह किसी पीड़ा से गुज़रना पड़े। तुमको 10 दिन हो चुके हैं अपने टूर पे गए। दिन में 5-6 कॉल्स भी तुम कर ही देते हो, पर फिर भी कुछ रह जाता है जिसके लिए मैं मचलती रहती हूं। तुम समझते तो हो…तभी कहते हो कि ध्यान रखना अपना। बस अब आने ही वाला हूं। क्या जाता तुम्हारा भला अगर जोड़ देते कि तुमको बहुत मिस कर रहा हूं? जानती हूं कि कहोगे कि टिपिकल लड़कियों की तरह बिहेव कर रही हूं, पर अब हूं भी तो लड़की ही ना…

हालत बड़ी अजीब सी हो गई है मेरी। तुम हो नहीं पर लग रहा है कि सामने ही बैठ के मेरी शिकायतें सुन रहे हो। वैसे सुन लो…मुझे तो पता ही है कि सुनने में बड़ा मज़ा है…

ख़ुद से ख़ुद को जीतने की चाहत
ख़ुद से ख़ुद को हराने का जज़्बा
ये कैसी लड़ाई लड़ी है दिल ने
ऐसे तो कोई तकरार नहीं करता

तेरा रहना ना रहना सब बराबर
पास ही रहता है दूर भी जाकर
ये धड़कन क्यों चले है अलग सी
ऐसे तो कोई बेकरार नहीं करता

क्यूँ डर लगता है कुछ पाने से
ख़ुशी होती है तेरे आने से
तू ख़ामोश बस मुस्कुराता
ऐसे तो कोई इकरार नहीं करता

यकीं है तेरे अन्दर कुछ पलता
तेरी चुप्पी में इक शब्द है जलता
आँखों में हाँ होठों पे ना क्यूँ
ऐसे तो कोई इंकार नहीं करता

love

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