अब…


किसी इश्क की आंच में अब पकना है

किसी रूह की आंखों में अब सजना है

कब तक रहे कोई बन कर यूं संगदिल

किसी आगोश की गर्मी में अब गलना है

फख़त तमन्ना से क्या होगा बोलो

किसी सोच से मिल सोच जनना है

पाबंदी लगी है ज़माने की देखो

किसी बगावत से लगता गुज़रना है

समंदर भी बन कर देखा है मैंने

किसी झरने सा खुलकर अब बहना है

चुप्पी में ना घुट जाऊं कहीं मैं

किसी शब्द में अब ख़ुद को कहना है

koran252cved252cpuran252cgita

Leave a Reply

Your email address will not be published.