छोटी सी मुलाक़ात


Good things come in a small packages…जिसने भी कहा है, सच ही कहा है। श्रिया की वो मुलाकात भी ऐसी ही थी। कभी ना भूलने वाली…

श्रिया एक प्राइवेट फर्म में काम करती थी। काफी सालों से अकेले रह रही थी इसलिए समाज के नियम कानून से भी वो काफी हद तक वाकिफ थी पर उन पर कितना चलना है, ये निर्णय उसने देश, काल और परिस्थिति पर छोड़ रखा था। मां-बाप से दूर रहती थी। साथ में एक छोटा भाई रहता था। ज़िंदगी बहुत आराम से नहीं तो कम से कम किसी ज़द्दोज़हद के बिना तो चल ही रही थी।

‘दीदी, ये घर अब मुझे रास नहीं आता। चलो ना…चलते हैं यहां से कहीं और। अपना खरीद लेते हैं ना। हां…अपना खरीद लेते हैं। बहुत मज़ा आएगा। वॉव दी, अपना घर…प्लीज़ चलो ना।‘ सोनू मचलता हुआ श्रिया के हाथ को खींचने लगा। श्रिया उसकी बात सुनकर बहुत तेज़ हंसी और उसे अपनी गोद में बैठाते हुए कहा कि हां हां…इसी रविवार को ये शुभ कार्य करेंगे क्योंकि (श्रिया और सोनू ने एक साथ ही कहा) संडे ही तो फन डे है…संडे ही तो फन डे है…एक साथ कहते हुए दोनों ही हंसने लगे।

संडे आ गया। श्रिया और सोनू निकल पड़े घर की खोज में। अब आलू टमाटर लेना हो तो उसे एक ही घंटे में खरीद कर आया जा सकता है, पर यहां घर का मामला था। बजट और चाहत के बीच तालमेल बैठाना कोई आसान काम तो नहीं। लग गया पूरा दिन। दोनों बस लौट ही रहे थे कि अचानक लगा कि कार का टायर पंक्चर हो गया है। श्रिया ने कार रोक कर देखा तो टायर पंक्चर हो गया था। सोनू इतना बड़ा नहीं था कि वो पंक्चर ठीक कर सके और ना ही श्रिया इतनी एक्सपर्ट। घर पास में ही था इसलिए श्रिया ने सोनू को ऑटो में बैठा कर घर भेज दिया। उसके बोर्ड के एग्ज़ाम भी सर पर थे।

रात लगभग हो चुकी थी। श्रिया का मन भी घबरा रहा था क्योंकि वो सारा एरिया कंस्ट्रक्टेड था। श्रिया सोच ही रही थी कि अब किसे कॉल किया जाए, एक हॉन्डा सिटी पास में आकर रुक गई। ‘Hey, do you need any help?’ कार से एक लड़का सवाल पूछता हुआ निकला।

‘आं…हां…I mean yes…actually टायर पंक्चर हो गया है और मुझे इसे ठीक करना नहीं आता। मैंने सर्विस सेंटर को कॉल कर दिया है पर अभी तक वो लोग आए नहीं हैं।‘ कहते हुए श्रिया टायर देखने लगी।

‘अच्छा रुको, मैं करता हूं। कार की डिकी खोलो।‘ कहकर वो पीछे हट गया। श्रिया ने डिकी खोली तो उसने सब सामान निकाल कर उसे ठीक किया। फ्लैट देखने आई थी?- उसने सवाल पूछा। श्रिया ने हां में सर हिलाया। ओके…ये लो मेरा कार्ड। एक सोसाइटी के बारे में उसने बताया और कहा कि अगर इसमें लेना हो तो कॉल कर लेना। उसके बाद दोनों अपने रास्ते चल दिए।

अगले रविवार फिर से सोनू की ज़िद पर श्रिया फ्लैट देखने निकली। अनजाने में ही वो उसी सेम सोसाइटी में गई और नज़र पड़ी तो सामने वही हैल्पिंग मैन खड़ा था। दोनों ने एक-दूसरे को देखकर स्माइल दी। फ्लैट को लेकर बातचीत हुई। पिछली बार के हादसे से डर श्रिया ने इस बार ऑटो को चुना था। जाते हुए जब वो ऑटो का इंतज़ार कर रही थी तभी पीछे से वही आवाज़ आई। ‘Hey, do you need any help?’ श्रिया ने पीछे पलटकर देखा तो आंखों में चमक लिए वही था। ‘No No…was just waiting for auto’, कहकर श्रिया ने स्माइल दी। ओके, मैं ड्रॉप कर सकता हूं? जाने क्यों इस सवाल पर श्रिया ना नहीं कह पाई। दोनों कार में बैठ कर चले गए। तो क्या सोचा घर के बारे में? उसने श्रिया से सवाल पूछा। श्रिया ने अनमने भाव से कहा कि अभी फाइनल नहीं किया है। थोड़ा टाइम चाहिए। उधर से आवाज़ आई – ओके। By the way, I am Manu.nice to meet you. Coffee? श्रिया ने एक हल्की सी स्माइल दी और ओके में जवाब दिया।

वो कॉफी कुछ ज़्यादा ही बुरी होगी शायद क्योंकि उसको पीने में दोनों ने पूरे 2 घंटे लगा दिए। इधर उधर की बातें जिसके बारे में शायद उन्हीं दोनों ने समझा होगा। मनु ने श्रिया को घर छोड़ा और कहा कि कल सरप्राइज मिल सकता है तुम्हें कुछ। श्रिया ने आश्चर्य चकित होकर मनु को देखा और स्माइल देकर चली गई।

अगले दिन श्रिया के पास फोन आया उसी सोसाइटी से। मैम, आपने जो रेट दिया था, उस पर आकर आप अपना फॉर्म भर सकती हैं। मनु सर ने आपकी फाइल पास कर दी है। श्रिया कुछ समझ ही नहीं पाई। ऑफिस के बाद वो जब वहां गई तो पता चला कि मनु वहां किसी बड़े पोस्ट पर काम कर रहा था और सुबह की फ्लाइट से ही वो अमेरिका के लिए रवाना हो गया है। जाते जाते उसने श्रिया के सपने को पूरा कर दिया था।

श्रिया ने जब ये कहानी मुझे सुनाई तो मुझे ये फ़िल्मी लगी पर सच तो ये था कि श्रिया का सपना पूरा हो चुका था। कॉफी की वो छोटी सी मुलाकात पहली और आखिरी मुलाकार बन कर रह गई। आखिरी इसलिए कहा क्योंकि श्रिया की 8 महीने बाद शादी हो गई…

भले ही मैं इसे फ़िल्मी कह दूं पर सच तो ये है कि ऐसा होता है…छोटी छोटी मुलाकातों से ही ज़िंदगी की किताब लिखी जाती है और हमें जीने के कुछ मायने मिल जाते हैं…

book-of-life

0 thoughts on “छोटी सी मुलाक़ात

  1. आज भी दुनिया में अच्छे लोग हैं जो बिना किसी उम्मीद के दूसरों की मदद करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.