मोह के धागे…


‘ये मोह मोह के धागे, तेरी ऊंगलियों से जा उलझे…कोई टोह टोह ना लागे, किस तरह गिरह ये सुलझे…तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको चुन लिया….’

गोल्डी ने गाने को यही पर रोक दिया और रानी की आंखों में देख कर कहा कि मैं पागल नहीं हूं। मैंने बहुत सोच कर तुमको चुना है। ये सुनकर रानी की आंखों में खुशी के आंसु आए और उसने अपना सर गोल्डी के सीने में छिपा लिया।

अपने दिल के हालात बयां करती रानी रुक गई थी अचानक। शायद उसे थोड़ी झिझक हो रही थी मुझसे कि इतने सालों बाद मिल रही है, तो एक बार में कैसे सब कह दे भला।

हां, पूरे 6 साल बाद मैं अहमदाबाद गई थी और रानी से पूरे 11 साल बाद मिलना हुआ था। बचपन से ही हम दोनों ने साथ पढ़ाई की थी हॉस्टल में रह कर। वो कम बोलती थी इसलिए बातें कभी हमारे बीच ज़्यादा नहीं हुई, पर जब भी होती थी, वो दिल से होती थी। अहमदाबाद जाने पर एक दोस्त ने बताया कि रानी भी यही है। फेसबुक पर उसको ढ़ूंढ़ा और मिल बैठे हम दोनों। सिलसिल शुरु हुआ उन बातों का, जो हम हर किसी से नहीं कह सकते।

‘मम्मा, मैं क्या वहां जाकर खेल सकता हूं?’ मेरे बेटे ने पार्क में एक झूले की तरफ इशारा किया। मैं भी चाहती थी रानी से खुलकर बातें करना, इसलिए मैंने भी एक बार में हां कह दी। मैं रानी की तरफ फिर से मुड़ी, उसके हाथों पर हाथ रखा और मेरे ऐसा करते ही रानी फूट-फूट कर रो पड़ी।

कुछ मजबूरियों की वजह से रानी की शादी नहीं हो पाई थी। काम करते करते वो अपने कुलीग गोल्डी के करीब आई। पता चला कि गोल्डी शादीशुदा है, पर हर शादीशुदा मर्द की तरह उसने भी रानी से कहा कि उसकी ज़िंदगी अच्छी नहीं चल रही और वो मनीषा से तलाक़ लेना चाहता है। रानी नहीं निकल पाई उस रिश्ते से। कुछ प्यार की वजह से तो कुछ विश्वास की वजह से। सिलसिला चला और चलता गया और चलते चलते 4 साल बीत गए। जब मनीषा को इसकी भनक लगी तो उसने गोल्डी और रानी दोनों से बात की। गोल्डी अपनी बातों से पूरी तरह मुकर गया। रानी रोई, चिल्लाई, अपने प्यार की दुहाई दी…पर सब बेकार। पता नहीं, ये गोल्डी का डर था या उसकी फितरत, उसने मनीषा से रानी के बारे में सारी झूठी बातें कहीं। वो बातें, जिसे सुनकर रानी हैरान-परेशान भी हुई और उसका दिल भी हमेशा के लिए शायद बैठ गया।

‘मैं ग़लत थी क्या? क्या मैं प्यार नहीं कर सकती थी? क्या मेरे प्यार, मेरे विश्वास की ये कीमत है?’ रानी ने मेरी तरफ आंखों में आंसु लिए अपना सवाल पूछा। मुझे रोना भी आ रहा था और गुस्सा भी।

क्या ज़रुरत थी एक शादीशुदा मर्द के पास जाने की?…मैंने पूछा। रानी फिर से रोने लगी।

‘वो हटना चाहता था उस रिश्ते से। उसने हमेशा ही ये बात कही है मुझसे। 4 दिन पहले ही हम मिले थे, तब भी उसने यही बात कही। जब मनीषा मुझ पर चिल्लाई, तब भी उसने अकेले में मैसेज दिया। अब तू ही बता, कोई कैसे इसको छलावा समझ सकता है? मनीषा ने बताया कि इसको लत है दूसरी औरत की और इस बार वो औरत मैं थी, पर मैं ये बात मान नहीं पा रही थी। उसने हमेशा से ही ये बात कही थी कि वो मनीषा के साथ अपनी ज़िंदगी का एक पल भी नहीं बीताना चाहता, तो जब फैसले की घड़ी आई तो वो पलट कैसे गया? साथ में बिजनेस शुरु कर रहा है वो, पर मेरे अंदर जिसका अंत हुआ है, उसका क्या? वो कहता था कि वो किसी दूसरे के पास नहीं जा सकता अब। अगर कभी गया, तो उसमें मुझको ही ढ़ूंढता रह जाएगा। अब क्या हुआ उसको?’

रानी मेरी तरफ ऐसे देख रही थी, जैसे उसको अपने सवालों के जवाब कहीं से भी बस चाहिए….चाहे वो मुझसे ही क्यों ना हो। मैं बस शांत भाव से उसको सुन रही थी।

तुम्हें पता है, रानी जैसी कई लड़कियां हैं, जो इस तरह के बेनाम रिश्ते में फंसी हुई हैं। ‘बेनाम’ इसलिए कह रही हूं क्योंकि ऐसे रिश्तों को दुनियावाले जो नाम देते हैं, वो नाम बोलकर मैं रानी के ईमान पर कोई चोट नहीं करना चाहती थी। रानी बताती जा रही थी कि उसने खुद को किस तरह और कितना बदला था गोल्डी के लिए। कुछ बदलाव बहुत अच्छे थे और कुछ ऐसे, जिसे सुनकर शर्म आए कि ये भला कैसी चाहत थी….पर अब जो था वो था।

‘क्या तुझे सच में लगता था कि उसने तुझे प्यार किया था?’… मैं हैरां सी रानी की तरफ देखने लगी थी। रानी ने हां में जवाब दिया। मनीषा को गोल्डी ने कहा था कि वो रानी को शादी का वादा देकर फंसा कर रखना चाहता था पर रानी ने इस बात को मानने से इंकार कर दिया था। शायद उसका दिमाग तो इस सच को मान रहा था, पर दिल साथ नहीं दे रहा था। पायल, चूड़ी, बिछिया, बिंदी, सिंदूर…रानी सब पहनती थी…गोल्डी के नाम का।

ऊपर आसमान और नीचे धरती…और इन दोनों के बीच में रानी और उसका बेताब दिल। जानती हूं कि रिश्ते जब टूटते हैं तो दर्द होता है, फिर यहां तो रानी की दुनिया एक रात में बदली थी। गोल्डी के मन की थाह लेने जब उसने गोल्डी को मैसेज भेजा, तो अब भी गोल्डी गेम खेल रहा था ये कहकर कि मैं तुम्हारे पास आना चाहता हूं। पता नहीं, रानी जिस गोल्डी को जानती थी, वो इतना बड़ा गेम प्लानर कैसे बन सकता था।

रानी ने मनीषा से खुलकर बात की। मनीषा ने सारी सच्चाई रानी के सामने खोलकर रखी। रानी ने भी सब कुछ नहीं, तो कुछ कुछ तो मनीषा को बता ही दिया। दोनों ही औरतें खुद को ठगी सी महसूस कर रही थीं।

जहां तक मुझे समझ में आया, गोल्डी एक दोहरी ज़िंदगी जी रहा था। उसे समाज के नाम पर बीवी भी चाहिए थी और भावनाओं के नाम पर रानी भी। मैंने अपने बेटे के साथ रानी को लेकर एक मॉल में गई थी। ध्यान बंटने पर वो थोड़ा हल्का महसूस करने लगी थी। ऋतु, जो मेरे साथ ही अहमदाबाद आई थी, उसे भी मैंने कॉल करके एक मॉल में बुलाया। ऋतु ऐसे रिश्तों को मेरे से ज़्यादा समझती थी और चीज़ों को संभालना भी उसे अच्छे से आता था। उसके सामने भी पूरी कहानी रखी गई। वो थोड़ी देर तो शांत रही, फिर बहुत तेज हंसने लगी। मैं और रानी हैरां होकर उसे देख रहे थे। फिर जो उसने बात कही, उससे रानी की ज़िंदगी बन गई।

‘उसकी फितरत ही ऐसी थी। तभी तो आज तक उसने अपने घर में तुझे किसी से ना मिलवाया और ना ही किसी को तेरे बारे में बताया। जो बताया, वो भी झूठ। उसे पता था कि चाहे जो भी हो जाए, तू अपना मुंह नहीं खोलेगी और तूने किया भी ऐसा ही। सोच, कितना गंदा हो सकता था जो कि नहीं हुआ। तू ये सोच कि 4 साल तूने भी ऐश मारी। सजा तो गोल्डी और मनीषा के लिए है। गोल्डी जिस औरत के साथ कभी नहीं रहना चाहता था, अब उसे हमेशा उसी के साथ रहना पड़ेगा और मनीषा को एक ऐसे आदमी के साथ, जो कभी ईमानदार नहीं था उसके साथ। तेरे सामने तो रास्ते खुले हैं। आगे बढ़। जो साथ होते हैं ना, वो हर हाल में साथ होते हैं। जो नहीं होते, वो कभी नहीं होते। दिल से लड़ना अच्छा होता है कभी-कभी, पर जब लड़ाई लंबी चले तो उसे रोक देनी चाहिए। अब तू भी रुक जा। एक दिन वो भी रुकेगा, पर तब उसके पास रानी नहीं होगी। जो तुझपे बीती, वो उसपे बीतने दे कभी। तू बस जा। वो मन बहलाने के लिए किसी को भी ढूंढ सकता था पर उसकी बदकिस्मती कि उसे तू मिली। बदकिस्मत इसलिए नहीं कहा कि तू अच्छी नहीं, इसलिए कहा कि किसी और के पास से वो निकल सकता था, तेरे पास से वो कभी नहीं निकल पाएगा। अब तेरी यादों में आंसू बहाना ही उसकी नियति है। याद रखना, उसने अपनी सोच तुझमें डाली थी। सब मर्द एक जैसे नहीं होते। तू आज़ाद है, अपनी आज़ादी को उड़ कर महसूस कर।‘

ऋतु ने एक ही सांस में सारी बातें कह दी थी। वो रुकी तो 1 मिनट बाद हम तीनों ही हंसने लगे थे। कितना सही कहा था ना ऋतु ने कि अब गोल्डी हर जगह रानी को ढूंढेगा, पर उसकी रानी उसको कहीं नहीं मिलेगी। गोल्डी ने मनीषा को उदाहरण दिया था कि जानवर को भी 4 साल पालो, तो मोह हो जाता है। इस रिश्ते में शायद वो ही जानवर रहा होगा रानी के लिए। रानी इससे बाहर आ जाएगी, इसका यकीं हो चला था।

तुम्हें मालूम है, हर कोई रिश्ते में रानी चाहता है, पर ये हर किसी का नसीब नहीं। गोल्डी ने जो किया, उसका सच वो ही जाने। रानी को अपना सच पता था। जब हम मॉल से बाहर निकले तो रानी ने एक बेहद रोचक बात कही। उस दिन 29 फरवरी थी। 29 फरवरी का दिन 4 साल में एक बार आता है। रानी के इस 4 साल में भी वो पहला दिन था, जब वो उस रिश्ते की सच्चाई को समझ कर आगे बढ़ी थी। ये एक इत्तेफाक की बात थी, पर ये 29 फरवरी वाला इत्तेफाक मुझे बहुत अच्छा लगा। गोल्डी फंसा हुआ है मनीषा और अपने परिवार वालों के बीच। गोल्डी ने मनीषा के आगे, अपने परिवार के आगे रानी को एक अलग ही रुप में प्रस्तुत किया, जो काफी गिरा हुआ था। रानी के लिए कई धमकियां भी दे डाली हैं, पर दुआ करती हूं कि सच्चे जज़्बात हमेशा सही सलामत रहे। अगर गोल्डी के मन में एक दिन का भी प्यार आया हो, तो वो एक सही रास्ता चुने और अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़े। रानी भी बढ़ गई थी। मनीषा ने अपने शक को शांत करने के लिए रानी से कई दफा पूछा था कि गर वापस आया तो क्या करोगी? रानी ने एक सीधा सा जवाब दिया था – ‘जब सबसे ज़्यादा ज़रुरत थी, तब नहीं आया…जब मुझ पर गंदे इल्ज़ाम लगते रहे, तब नहीं आया…खुद को कैंसर जैसी बीमारी बता कर बीवी को इमोशनली ब्लैकमेल करने वाला व्यक्ति भला क्या आएगा मेरे पास…मैं बिना उसके बहुत भली हूं। आप ही संभालिए इस आइटम को।‘

रानी के मोह की डोर का एक सिरा अब उसके हाथों में आ चुका है। जानती हूं कि इस बार दूसरा सिरा सही हाथों में ही जाएगा। उसके मन के धागे सुलझ गए हैं। अब वो कुछ ना कुछ बुन ही लेगी।

मैं, ऋतु और तुम्हारा लाडला…हम तीनों ही वापस आ रहे हैं। ऋतु मुझसे पूछ रही है कि क्या तू भी किसी की रानी है और मैंने उसे बता दिया है कि हां, हूं…पर मेरे पास गोल्डी नहीं, मेरा प्यारा धोंधू है…

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0 thoughts on “मोह के धागे…

  1. Awesome. I love the character of Rani. True soul never gets hurt. I am worried about Goldi. God bless him. Nice writing. Keep it up:-)

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