सुनो ना,
क्यों कहते थे तेरे जाने के बाद
खाली हो जाएगी ज़िंदगी
तुम जबसे गए मुझे छोड़कर
मेरे हिस्से का सब भर गया
मोबाइल की बैट्री, आंखों में आंसु
जेहन में ख़्याल, दिल में दर्द
कुछ भी तो खाली नहीं होता
तेरी यादों से भर गई है ज़िंदगी
कुछ भी तो खाली नहीं मेरे पास
सिवाए मन के एक कोने के
पानी की बूंद सा बना वो रिश्ता
यथार्थ की धरती पर पड़ते ही
मिट गया अस्तित्व जिसका
एक रबड़ दे दो आकर मुझे
जिससे सब मिटा सकूं
या फिर वो एक पेंसिल,
जिससे नई रचना संभव हो
सुलगाना चाहती हूं तुझे मैं
शायद धुंए में उड़ा सकूं
क्या किसी के जाने पर
ऐसा ही होता है?