उम्मीद का बूटा


उम्मीद का एक बूटा उसने तुम्हारे मन में बोया और सजा ली तुमने वो दुनिया, जिसका कोई अस्तित्व नहीं। इतनी सारी चीज़ें अख़बारों में निकलती हैं, उनसे भी कोई सबक नहीं ले पाई। जब अनजानी मंज़िल की तरफ कदम बढ़ाया था तो फिर किसी भी होनी पर ये अश्क क्यों बहा रही हो?

सुनो, किसी के भी मामा, मौसी, मां या भाई के कुछ भी सोचने से तुम कुछ नहीं बनती। तुम हमेशा वही रहोगी, जो तुम हो। वैसे भी, क्या कोई भी दूसरा, तुम्हारे लिए अपना कुछ भी अस्तित्व रखता है? सारे रिश्ते तब तक ही अपना महत्व रखते हैं, जब तक तुम्हारे पास वो रिश्ता है, जिसकी वजह से वो सारे रिश्ते बने।

प्यार जब तक बना रहता है, तब तक उससे खूबसूरत चेहरा और कोई नहीं होता, पर जिस पल वो बिगड़ता है, अपनी बदसूरती दिखा कर जाता है। अगर तुम्हारे साथ भी यही हुआ तो भला कौन सी अलग चीज़ हो गई? इतनी हैरानी और परेशानी क्यों आखिर?

कंगना रनाउत का इंटरव्यू देख रही थी। ह्रितिक के साथ जो विवाद हुआ, उस पर अध्ययन ने जो कहा, उसको लेकर कंगना ने कुछ बातें कही। मैं सच में नहीं जानती कि इनके मामले में कौन सही है और कौन ग़लत। ना ही मैं लड़की होने के नाम पर कंगना की तरफ हूं और ना ही लड़की होने के नाम पर ह्रितिक से अलग क्योंकि मैं जानती हूं कि उन दोनों का सच अगर किसी को भी पता है, तो सिर्फ उन दोनों को…जैसे तुम्हारा सच सिर्फ तुम्हें पता है। तुम दोनों में हुई बातें कभी किसी को उतनी सच्चाई से कैसे पता चलेंगी। सामने वाला भी गुमराह सा महसूस करेगा खुद को कि किस पर यकीं किया जाए…पर कंगना ने जो बातें कही, वो बातें मजबूती लाने के लिए समझनी ज़रुरी हैं…

सच में ना, खुद को देखो तुम। जब तक साथ थी, ग़लतफहमी में थी तब तक सब सही था। जब सच जानने पर दूर जाना चाहा तो कितने इल्ज़ामों से नवाज़ दी गई। ‘होर’, ‘प्रॉस्टीट्यूट’, ‘रंडी’…ये वही कुछ शब्द हैं, जो अक्सर सुनने को मिल जाते हैं क्योंकि ये सबसे आसान तरीका है किसी को भी रुलाने का…किसी को भी तोड़ने का…पर तुम क्यों रो रही हो? क्या किसी के भी कुछ कहने से तुम वो बन जाती हो? क्या किसी के भी कुछ भी कहने से कोई भी कुछ भी बन जाता है? अगर ऐसा होता तो तुम भी तो उसको पति मान चुकी थी, फिर वो क्यों नहीं बना तुम्हारा पति? उसकी मां को मां माना तो उनसे कैसे गालियां मिल गई? एक मां तो गाली नहीं दे सकती ना…भाई ने कौन सा भाई वाला किरदार निभाया? कहने का ये मतलब कि किसी के कहने या किसी के मानने से तुम्हारा अस्तित्व नहीं बदलता या बिगड़ता।

तुम्हें पता है, लोग कमजोर होते हैं। उनके अंदर इतनी कुंठा और अपनी खुद की ज़िंदगी से इतनी शिकायतें बनी हुई हैं कि उन्हें समझ ही नहीं आता कि वो क्या करें। हकीकत उन्हें अंदर से पता होती है, पर मानने पर बात बिगड़ सकती है, इसलिए बात मानने वाली बात को तुम हमेशा के लिए भूल जाओ। वो पल, जो सिर्फ तुम्हारे और तुम्हारे प्यार के बीच गुज़रे होते हैं, जो बंद कमरों की बातें होती हैं, उन्हें भी सार्वजनिक रुप से एक अलग चेहरा देने में इन्हें हिचकिचाहट नहीं होती। तुम्हें ब्लैकमेल भी किया जा सकता है इन सब बातों को लेकर, धमकी दी जा सकती है…मकसद सिर्फ इतना कि तुम्हें डर लगे। ये डर हकीकत में उनका अपना होता है, जो तुम्हें डराने की कोशिश कर रहे होते हैं।

किसी और का रिश्ता खराब होने की वजह तुम कैसे हो सकती हो भला? अगर वजह तुम हो तो तुम्हारे अलग होने के बाद भी वो रिश्ता क्यों नहीं सुधरता? क्या तुम इतनी पावरफुल हो कि तुम्हारे ना रहने पर भी तुम्हारी मौजूदगी हमेशा बनी रहती है या वो इतने कमजोर हैं कि तुम्हारे बीच में से हटने के बाद भी नया रिश्ता नहीं बना पाते?

तुम्हारा अगर अपना भी रिश्ता नहीं चल पा रहा तो उसमें भी अकेले तुम पर ही ऊंगलियां क्यों? सब अपनी खुद की जिम्मेदारी ले सकते हैं, किसी दूसरे की नहीं। मत दो जवाब किसी को भी किसी भी बात का। सही बात तो ये है कि किसी को कोई सफाई नहीं चाहिए। तुम्हें किस तरह तोड़ा जाए या कमजोर बनाया जाए, बात सिर्फ उतनी ही है। ये ऐसे कमजोर लोग होते हैं जो दूसरों को अपशब्द बोलकर खुद को महान और मजबूत समझते हैं।

ज़रुरी नहीं कि कोई सपनों का राजकुमार तुम्हारे पास आए और एक अलग जन्नत सी दुनिया दिखाए। ज़रुरी तो ये भी नहीं कि जिस राजा की तुम रानी हो, वो हमेशा तुम्हें प्यार करे। जिस दुनिया में तुम हो, हकीकत बस वही है। इससे मुंह मोड़ना बेकार है। यही रहो और रह कर सामना करो। सामना करने का सबसे आसान तरीका कि बस अपना काम करती रहो, बिना ये सोचे कि कौन क्या सोच या बोल रहा है। अब ऐसा भी नहीं कि रोना मना है। रोना सबसे ज़्यादा ज़रुरी है। आंसुओं के साथ बहुत कुछ बहता है, जिसे शब्दों में नहीं बता सकती।

बस ये याद रखो कि डर और डराने के बीच का जो फासला है, उसका मिटना ज़रुरी है…उम्मीद का एक बूटा अपने दिल में हमेशा रखो, पर उसको सींचने का काम तुम खुद करो…तुम एक सुपर वुमेन हो, जिससे हर कोई जल सकता है, चाहे वो तुमसे मजबूत हो या कमज़ोर, क्योंकि हर किसी के पास वो मुस्कुराहट नहीं, जो तुम्हें दी गई है। तुम बस उस मुस्कान को बरकरार रखो…

हर कोई उस उम्मीद के बूटे को दरख़्त बनाने की जिम्मेदारी नहीं ले सकता…

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