बस यूं ही…

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कुछ खुशियों को आना होगा, कुछ दुखों को जाना होगा
कब तक रुह रहेगी प्यासी, कभी तो खुद को पाना होगा

चुभ कर कोई दर्द रिसेगा, नैनों से जब अश्क बहेगा
जिस चोट से बदलेगा जीवन, सुंदर सा वो ताना होगा

हैं घर से निकले जब कदम, मिले ना जाने कितने ग़म
भटक ले चाहे जितने रस्ते, घर तो फिर से आना होगा

कर के देखो बार बार, दर्द बिना ना मिलता प्यार
इस प्यार के भी हैं नखरे, शर्तों पर ही माना होगा

गीत में भी छिपा है राज़, सुर बिना ना लगते साज
दूरी में नज़दीकी के गीत,मन को अब तो गाना होगा

हैं गवाह यहां कई सारे, दुख में भी होते नींद के मारे
नमक बिना कोई स्वाद नहीं, खाना फिर भी खाना होगा

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