बावली तनु


‘बावली’ – हां, यही वो पहला शब्द था जो तनु दी को देखकर मेरे दिमाग में आया था। मेरे से बहुत बड़ी थी वो। कभी आमना सामना भी नहीं हुआ था। हां, एक समारोह में हम मिले थे पर कोई ख़ास बातचीत नहीं। उन्होंने किसी बात पर आकर मेरी तारीफ की थी और कहा था कि कभी बदलना मत, हमेशा ऐसे ही रहना। मैंने भी मुस्कुरा के हां में सर हिलाया था। उनकी फोटो कभी कभी दिखती थी, जो हमेशा सेल्फी रहती थी। कभी अकेले की तो कभी अपने कुत्ते ड्यूक के साथ। जब जब उनकी फोटो देखती तो पहला ख़्याल जेहन में यही आता था कि अजीब बावली सी हैं। दिमागी दिक्कत है शायद।’

 क्या मुझे तुम्हारा नंबर मिल सकता है? मुझे तुमसे बात करने का बहुत मन है। मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो।’ मुझे यही  मैसैज भेजा था तनु दी ने। समय देखा तो रात के 11.45 हो रहे थे। मैं हैरान कि ना जान ना पहचान, मैं तेरा मेहमान वाला किस्सा हो गया ये तो। मैंने उन्हें टालने की कोशिश की कि सुबह आपको फोन करती हूं, पर वो बच्चों सी ज़िद लिए बैठी थी। मैंने उन्हें नंबर दिया और बताने की ज़रुरत नहीं कि 1 सेकेंड के अंदर ही मेरे फोन की घंटी बज रही थी। मैंने फोन उठाया तो चहकती सी आवाज़ आई जिसने एक ही सांस में मुझे बताना चाहा कि वो मुझे कितना पसंद करती हैं। 

मैं ठहरी एक आम सी लड़की, जो ना चाहते हुए भी दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगती है। उनकी बातें सुनकर मुझे खुशी की जगह हैरानी हो रही थी। उनका फोन रखते ही मैंने अपनी बड़ी बहन को फोन किया और अभी अभी जो ज़िंदगी में ये खूबसूरत सा, ना समझ में आने वाला हादसा हुआ था, उससे रुबरु करवाया। बहन ने कहा कि अच्छी बात है कि कोई आपको पसंद करता है, पर उससे अच्छी बात कि कोई आपको अपनी इस बात से वाकिफ़ करवाता है। उन्होंने करवाया है, तो खुश हो। ज़िंदगी की खुशियों से इतना भी नहीं डरना चाहिए। मैंने भी हामी भरी पर मेरे लिए तनु दी उस दिन और बावली बन गई थीं। 

ज़िंदगी ने शायद तनु दी की सुन ली और मुझे उनके ही शहर जाना पड़ा। जिस दिन जा रही थी, उस दिन बहन बहुत परेशान थी। कैसे रहेगी अकेले, वहां तो किसी को जानती भी नहीं। अपना ख़्याल रखना, कुछ भी हो तो फोन करना, वापस आ जाना। मैं भी एक अंजान से शहर में धड़कते दिल के साथ चली गई। मन में डर था, ऐसी बात नहीं, पर बस मन बहुत स्थिर नहीं था। जाने से पहले ध्यान आया कि तनु दी भी वही हैं तो एक मैसेज छोड़ा कि आपके शहर में हूं, समय मिला तो मिलेंगे। पहले ही बता चुकी हूं कि मैंने उन्हें बावला मान लिया था और तनु दी ने फिर से मेरी इस सोच पर अपनी मोहर लगा दी मुझे 5 घंटे में 5 बार फोन करके। वो बेचैन थी, जैसे उस शहर में अगर मुझे किसी परेशानी का सामना करना पड़ा तो उनका जीवन व्यर्थ होगा। 

उनका ड्राइवर आया और अपनी गणित के साथ मैं उनके घर पहुंची। वो ऐसे लिपटी जैसे जाने कितने बरसों बाद हम मिल रहे थे। उनकी खुशी उनकी आंखों से, उनके चेहरे से, उनकी बातों से….यूं कह लीजिए कि उनके रोम रोम से ज़ाहिर हो रही थी। मैं बस उनको देखे जा रही थी। लगा कि उनका बावलापन शायद एक संक्रामक रोग है, जो अब मुझमें आ गया है और इसीलिए मैं उन्हें यूं देखी जा रही हूं। उनके घर का हर एक सदस्य मुझसे भली भांति परिचित था। मैं हैरान थी क्योंकि जिस कुत्ते की फोटो मैं हमेशा देखती रहती थो, वो भी मेरी गोद में आकर यूं बैठ गया, जैसे जाने कबसे मुझे जानता हो। कुत्ते को देखकर दूर से ही चीखने वाली मैं उसको सहला रही थी। मैं हैरां सी थी कि ये सब हो क्या रहा है मेरे साथ।

बातों का सिलसिला शुरु हुआ। उन्होंने बताया कि वो अभी भी पढ़ाई करती हैं। जाने कितने ही कोर्स उन्होंने कर लिए हैं और जाने कितने ही अभी करने हैं। ‘क्या करना चाहती हैं आप आगे?’- मैंने दुनियादारी वाला सवाल किया। उन्होंने बहुत ही सहज तरीके से कहा कि ‘ कुछ नहीं। बस अच्छा लगता है, इसलिए। मैं तो बस खुश रहना चाहती हूं।’ जितनी सहजता से उन्होंने वो बात कही, यकीं मानिए, उतनी ही सहजता से वो मुझे पसंद भी आई। 

वक्त की बात है कि मुझे उनके साथ वक्त बीताने का वक्त मिला। मैं खुश थी उनसे मिलकर। सच कहूं तो हैरान भी। आज भी ऐसे लोग होते हैं, जो हर जोड़ घटाव से परे होते हैं। उनके लिए सब अच्छा था। किसी से कोई शिकायत कभी रही हो तो रही हो, आज उसका ज़रा सा भी अंश देखने को नहीं मिला। मन को साफ रखना और हर चीज़ में एक सकारात्मकता देखना मुश्किल है पर उनकी नज़रों से मुझे भी वो आसान लगा। मैं समझ नहीं पा रही थी कि मैं उन्हें इतनी अच्छी क्यों लगी, पर हां, मुझे ये पता चल गया था कि वो बावली तनु दी मुझे बहुत अच्छी लग रही हैं। बातों बातों में कुछ कुछ बातें वो इतनी सहजता से कह देती थीं, जिसमें ज़िंदगी की खुशियों के राज़ छिपे रहते थे। 
कई बार उनकी तस्वीरों को देखकर मैंने अंदाज़ा लगाया कि शायद ज़िंदगी में तनहा होंगी, पर वो भी मिथ उनके पति से मिलने के बाद टूट गया। जीवन साथी के साथ का असर होता है, ये मैंने महसूस किया। एक दिन दी को मैंने कहा कि आपको कोई चाहिए जो आपको हमेशा पैंपर करे, आपका ख़्याल रखे, आपके झटपट बदलते मन को संभाले। तनु दी ने हंसकर कहा कि इसीलिए तो तेरे जीजाजी मेरी ज़िंदगी में हैं। मैंने भी हामी भरी क्योंकि वो एक बात मैं भी महसूस कर रही थी। पति पत्नी सहज थे, इसलिए घर का हर सदस्य अपने आप में सहज दिखा। 

एक दिन यूं ही किसी बात की ज़िक्र में मैंने उनसे पूछ लिया कि मन को कुछ ना पसंद आने की स्थिति में क्या करती हो? उन्होंने बड़ी आसानी से कहा कि खुश तो खुद को रहना है। दूसरे उस खुशी में सहायक बन सकते हैं, आपके बदले खुश या दुखी नहीं हो सकते। मैंने उन्हें हंस कर कहा भी कि मुझे अंदाज़ा नहीं था कि इस बावली को इतना सब कुछ समझ में आता है। 

मैं जानती हूं कि हम में से कई लोग जजमेंटल होते हैं, कई बार मैं भी…तनु दी के केस में ख़ासकर….अब जब उनके साथ नहीं हूं तो पीछे पलट कर देख पा रही हूं। समझ पा रहीं हूं कि हर चीज़ दूर से देखकर समझ नहीं आती। लम्हों को उठाकर देखना पड़ता है, तभी उसमें छिपी दास्तां पता चलती है और आप उससे जुदा होने की बजाए जुड़ पाते हो। 

कई छोटे छोटे लम्हें हैं, जिसका पूरा ब्यौरा देना मुश्किल है। शायद सब जता पाऊं या बता पाऊं वो भी आसान नहीं। एक दिन मिलने का सोचा था पर साथ लंबा हुआ। उनसे मिलने के बाद ना शहर अंजान रहा और ना ही वहां के रास्ते। सीखा मैंने कि खुश रहना सच में आसान सा काम है।

अब बस इतना जानती हूं कि मुझे बावलापन अच्छा लगा है…और वो बावली सी तनु दी भी…

0 thoughts on “बावली तनु

  1. बहुत ख़ूब श्वेता kitini ख़ूबसूरतियों से अन्दाज़ ए ब्या kiya तुमने es bawali तनु को की उसको मिलने का दिल kerne लगा .. Kitina अच्छा है ..es terheh ke personality ke saath es प्यारी se दुनिया मैं rahena .. Vaise uska ye pagalpan uski sacchi life haii jo tumne likha usko read ker ke yhuhi laga itina saccha insaan सरल hona accha hai jo jaisa dekhta usko vaisa rahene do उससे accha ख़ूबसूरत दुनिया mai khuch bhi nahi ..💃💕

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