मुबारक हो, बेटी हुई है


‘मुबारक हो, बेटी हुई है’- डिलीवरी रूम से नर्स ने निकलते हुए ख़ुशख़बरी दी। मैं अपनी माँ और दीदी के साथ रूम के बाहर खड़ी थी। इस बात को सुनते ही हम तीनों चीख़ पड़े और रोते हुए एक दूसरे से गले मिले।

मेरी बहन की शादी के 5 साल हो चुके थे। भारतीय परम्परा को निभाते हुए रिश्तेदारों ने शादी के एक साल बाद ही ‘बेटा ख़ुशख़बरी कब दोगी?’ – ये सवाल पूछना शुरू भी कर दिया था। बहन और उसके पति ने सोच रखा था कि माता – पिता बनने का सुख उन्हें 2-3 सालों बाद ही चाहिए। सभी ज़रा बेसब्री से ‘किसी गुड न्यूज़’ का इंतज़ार कर रहे थे। वो वक़्त भी आ ही गया।

किसी दिन यूँ ही शाम को मैंने कहा कि कुछ दिक़्क़त आ रही है तो और भी रास्ते हैं। चल डॉक्टर से मिलते हैं। मेरी बहन मेरी बात को सुन कर मुस्कुरा दी। मैं हैरान कि दुखी होने की जगह यह इतनी आराम से कैसे हंस रही है? उसने मेरा हाथ पकड़ के कहा कि चिंता मत कर, सब ठीक है। मेरे दिमाग़ की बत्ती ज़रा देर में जली और बात को समझते ही मैं ख़ुशी से चीख़ पड़ी, जैसे बच्चा भी अभी ही हो गया। 

धीरे धीरे समय बीता। ये खा, ये मत खा…ऐसा कर और ऐसा मत कर जैसी सौ हिदायतों के साथ उसने अपने 9 महीने पूरे किए। मां एक महीने पहले ही अपना फर्ज़ निभाने आ गई। बेचारी वो ठहरी सीधी सादी। हमेशा कहती कि मैं भला कितना ही संभाल पाउंगी, पर हां, ‘मॉं’ के नाम पर जो राहत मिल जाए, उतना ही काफी है। कहने कि ज़रुरत नहीं कि हर कोई ‘मां’ के होने पर मिलने वाले सुकून को जानते ही होंगे। हम सब भी मॉं के आने पर वैसे ही खुश हुए। ‘आज ये बना दो’, ‘आज ये खाएं क्या’, ‘चलो मॉल घूम कर आते हैं’….दिन ऐसे ही गुज़र रहे थे। सुबह शाम टहलना, गप्पें लड़ाना, चाय के समय आने वाले सदस्य के लिए नई नई प्लानिंग करना, मां के फोन पर दिन में पिताजी के तकरीबन 7-8 फोन देखकर दबे मुंह हंसना, क्या पापा आपका मन नहीं लग रहा?- कहकर पिताजी को छेड़ना….वक़्त ऐसे ही बीत रहा था। 

बहन ने एक दिन रात को कमर दर्द की शिकायत की। अगले दिन रूटीन चेकअप के लिए हॉस्पिटल जाना ही था, तो हमने सुबह तक का इंतज़ार किया। बहन के पति को हमने ज़िद करके ऑफिस भेजा कि कुछ इमरजेंसी होगी, तो बुला लेंगे। हॉस्पिटल जाकर पता चला कि ये जो कमर दर्द है, दरअसल ये ही ‘वो दर्द’ है, जिसे दुनिया का सबसे तेज़ दर्द कहते हैं। डॉक्टर ने एडमिट होने की बात कही। मैंने फोन कर बहन के पति को भी बुलाया। वो भागा भागा आया और कागज़ी काम करने लगा। बहन का चीखना शुरु हो चुका था। मैंने कभी इतनी पास से ये सब नही देखा था, तो मैंने रोना शुरु कर दिया। मॉं बेचारी सब संभालने में लगी पड़ी थी। मैंने अपनी बड़ी बहन को फोन किया – ‘फटाफट आ, डॉक्टर ने एडमिट कर लिया है। वो चीख रही है, मैं रो रही हूं, मॉं अकेले सब संभालने में लगी पड़ी है।’ बड़ी बहन भी शायद उड़ती हुई सी हॉस्पिटल पहुंची। हम सब की धड़कनें बहुत तेज़ चल रही थीं।

‘आप सब बाहर इंतज़ार कीजिए’- कहकर हमें कमरे से बाहर जाने का इशारा किया गया। मैं, मॉं और दीदी बाहर आ गए। बहन दर्द में चीखें मार रही थी, उसका पति हाथ पकड़ कर उसका मनोबल बढ़ा रहा था, नर्स भाग भाग कर ऑपरेशन का सारा सामान ला रही थी। हम बाहर से बस अपनी बहन की चीखें सुन रहे थे। 

मैं पिछले तीन घंटे से उसको दर्द में बिलखता देख रही थी। बीच में ज़्यादा दर्द बढ़ने की स्थिति में उसने कहा भी कि अब वो नहीं सह सकती, डॉक्टर को बोलो कि सिज़ेरियन कर दे, पर सुनी हुई बातों के आधार पर मैंने उसे मना किया। मॉं ने भी अपने तरीके से समझाया। डिलीवरी के समय वो मॉं मॉं कहकर चिल्लाती रही। उसके पति ने उसे हंसाने के लिए छेड़ा भी कि कोई एक ही मिल सकता है, मॉं या मैं, आपको कौन चाहिए? मैं जानती हूं कि उस वक्त शायद मेरी बहन ने अपने पति को गाली ही दी होगी, पर बाद में वो उसके लिए एक अच्छा एहसास ही होगा। उसका पति बार बार ‘ इट्स ओके’ कहकर उसका मनोबल बढ़ा रहा था और वो दर्द में भी उस पर चीख रही थी कि ‘नो, इट्स नॉट ओके’। 

आधे घंटे की मशक्कत के बाद हमें एक रोने की और एक हंसने की आवाज़ आई। मेरी बहन ने एक बेटी को जन्म दिया था। एक खूबसूरत परी इस दुनिया में आ चुकी थी। ‘कुछ एक्सपर्ट डॉक्टर्स’ ने तो कह दिया था कि मेरी बहन मॉं नहीं बन पाएगी, पर ना केवल वो स्वाभाविक तरीके से मॉं बनी, बल्कि नॉर्मल डिलीवरी भी हुई। 

अपनी बहन के पति को देखकर मैं हैरान थी। जिस तरह से वो बहन का साथ दे रहा था, वो कम ही देखने को मिलता है। कई लोग तो इस खूबसूरत मौके को गंवा देते हैं। मॉं को तो सारी शाबाशी जाती ही है, पर मैंने महसूस किया कि मेरी बहन ने इन सबको इतनी आसानी से झेला तो उसकी बहुत बड़ी वो वजह थी, जो उसके पति के साथ ने उसको दी थी। हम सब घरवालों को जहां फोन करने में और बेबी को देखने में लगे पड़े थे, वो बस अपनी बीवी का हाथ पकड़े खड़ा था। बहन के पूरी तरह सामान्य होने के बाद उसने बेटी को देखा और उसके बाद उसने अपने माता पिता को इस खुशी की इत्तिला दी। मेरी बहन अपने पति को अक्सर ‘डोडो’ कहकर बुलाती है। एक दिन मैंने पूछा भी कि ‘डोडो’ का क्या मतलब होता है, तो पता चला कि ये एक चिड़िया है, जो काफी कम पाई जाती है। हां, सही नाम रखा था मेरी बहन ने अपने पति का। उस जैसे जीवनसाथी सच में कम पाए जाते हैं।

घर में रौनक है। हर कोई खुश है। बड़ी दीदी के बेटे को जहां ऐसा लग रहा है कि वो अभी से बाप बन गया और एक जिम्मेदारी उस पर आ गई, तो बेटी इसलिए खुश है कि उसको कोई जोड़ीदार मिल गया। एक बेटा इसलिए खुश है कि खेलने के लिए खिलौना आ गया, तो दूसरा इसलिए खुश है कि अब एक राखी ज़्यादा बंधेगी। वो ‘बेटी’ उर्फ अपनी छोटी बहन को देखने के लिए 18 मंज़िल सीढ़ी से चढ़कर आने की भी हिम्मत रखते हैं। मॉं-पिताजी नाना-नानी बन कर खुश हैं तो कोई दादा-दादी बन कर। दीदी खुश है कि उसे फिर से वो सब करने का मौका मिलेगा, जो उसने तकरीबन 13-14 साल पहले किया था। कोई मामा बना, कोई चाचा तो कोई बुआ। एक जन्म ने कईयों को कितना कुछ बना दिया ना…

मैं भी बहुत खुश हूं। जब पहली बार नर्स ने उसे मेरे हाथों में दिया तो मैं अंदर से कांप रही थी। मैंने पहली बार ये पूरी प्रक्रिया इतने करीब से देखी। मैंने पहली बार तुरंत जन्मे बच्चे को अपनी बांहों में लिया था। उसको अपनी बांहों में भरकर एक अजीब ही एहसास से भर उठी मैं, जिसे चाह कर भी बयां नहीं कर पाउंगी। मुझे वो सारी तकलीफें याद आ गईं, जो मैंने मॉं को दी थी। नहीं, हम चाहे जो करें अपनी ज़िंदगी में, अपनी बहन का दर्द देखने  के बाद इतना समझ में आया कि हम सबको अपने मॉं बाप को तो तकलीफ नहीं ही देनी चाहिए। सच में अजीब सा था सब कुछ। कुछ समय पहले तक जो मेरी बहन के पेट के अंदर अपनी ज़िंदगी जी रही थी, वो अब मेरी बाहों में थी। मेरी रोती बहन अपने बच्चे के रोने को सुनकर हंस पड़ी थी। बच्ची का वो पहला रोना हर मॉं को एक मुस्कुराहट देता होगा। मेरी बहन को भी वही खुशी मिली। वो अब तक की अपनी सारी तकलीफ भूल चुकी थी। एक दर्द ने उसे ज़िंदगी का सबसे हसीन तोहफा जो दिया था। 

मैं बहुत खुश हूं। मेरी बहन ने मॉं बनकर मुझे ‘मॉं सी’ बनने का सुख दिया है। मैं समझ चुकी हूं कि ज़िंदगी के सबसे तेज़ दर्द के बाद सबसे खूबसूरत चीज़ पैदा होती है। मैं भी दर्द से गुज़र रही हूं और उम्मीद है कि मेरा ये दर्द भी मेरी ज़िंदगी को सबसे हसीन तोहफा देगा…

6 thoughts on “मुबारक हो, बेटी हुई है

  1. Kya kahne. Sach me, maa banne ka sukh sabse bada hai. Apne bahut khubsurti se sab likha. Rula diya

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