‘सात उचक्के’


एक साल पहले बनी फ़िल्म ‘सात उचक्के’ गालियों के साथ आज रिलीज़ हो चुकी है। संजीव शर्मा हैं फ़िल्म के डायरेक्टर। इससे पहले वो गीतकार और लेखक के रूप में जाने जाते थे पर अब ‘सात उचकके’ से वो बन चुके हैं डायरेक्टर। फ़िल्म में मनोज बाजपेयी, के के मेनन और विजय राज जैसे थियेटर से जुड़े दिग्गज कलाकार हैं। इसके साथ ही अनुपम खेर,अन्नू कपूर और अदिति शर्मा की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
2 घंटे 19 मिनट की कहानी में 7 लोगों की कहानी बताई है, जो उचक्के हैं, जिनका काम ही लूटपाट करके अपनी ज़रूरतों को पूरा करना है। पूरी फ़िल्म पुरानी दिल्ली की गलियों में गालियों के साथ चलती है। स्टोरी कुछ ख़ास नहीं है फ़िल्म की और आज के समय में वो सार्थक सी भी नहीं लगती। पूरी फ़िल्म गालियों से भरी हुई है, जो अटपटी और ज़बरदस्ती डाली हुई लग सकती है। फ़िल्म में किसी डायलॉग पर तो हँसी आती है, ठहाके भी लगते हैं, पर उसके बाद भी पूरी फ़िल्म झेलना मुश्किल है।
ऐक्टिंग की बात करूँ तो फ़िल्म की स्टारकास्ट के नाम को सुनकर उनकी ऐक्टिंग के बारे में किसी को भी शक नहीं हो सकता। इस फ़िल्म में भी काम सबने उम्दा ही किया है, यह तो उनकी क़िस्मत ख़राब कहिए कि स्क्रीनप्ले और एडिटिंग उन्हें सही नहीं मिली।
मनोज बाजपेयी ने इस फ़िल्म में कॉमेडी भी की है और बहुत अच्छी की है। के के मेनन, विजय राज और मनेज की तिकड़ी आँखों के लिए एक ट्रीट जैसी है। अदिति का काम भी बहुत अच्छा है। दिखने में वो काफ़ी सीधी सादी सी दिखती हैं पर इस फ़िल्म में उनके अन्दाज़ ज़रा बोल्ड ही हैं, जिसको उन्होंने बख़ूबी निभाया है। हां, अनुपम खेर ने इस रोल के लिए हाँ क्यूँ कहा, यह बात समझ नहीं आती। उनकी जगह किसी और को भी यह रोल दिया जा सकता था।
फ़िल्म में ‘नज़र लगी राजा’ और ‘छाप तिलक’ जैसे गाने हैं, जो अच्छे से फ़िल्माए गए हैं।

इस फ़िल्म को मिलते हैं 2 स्टार्स।

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