गुमान


सुनो ना,
एक बार फिर से उलझा है मन
खोज रहा है उत्तर कई
बड़ों से कहते सुना है मैंने
सच होती है सोच कई
मेरी सोच में हो तुम आ बैठे
क्या तुम्हें भी दे दूं एक सच का दर्जा?

प्रिये,
अक्सर पाने के सुरुर से
होता है ‘पा लिया’ का गुमान
ख़्यालों में बसती है वो बस्ती
जहां रहते हैं सारे सपने
हम दोनों ही हैं सोच में गुम
गुमान को भी हो चला गुमान
कभी तो बसेगी उनकी नगरी

3 thoughts on “गुमान

  1. दिल की सारी बातें तुम्हें समझ में आती हैं

Leave a Reply to R. S. Tiwary Cancel reply

Your email address will not be published.