तो तुम आ ही गए। इंतज़ार नहीं था, यह नहीं कह सकती क्यूँकि सच तो ये है कि मैं पागलों की तरह आँखें गड़ा कर तुम्हारा रास्ता देख रही थी। नया सबको अच्छा लगता है। कहीं ना कहीं हम सब यही सोचते हैं कि पुराने ने अगर रुलाया है, कुछ छीना है, दर्द दिया है, डर दिया है, तो नया क्या पता उससे बेहतर हो। क्या पता, नया वो सब दे दे, जिसकी चाहत हमेशा से मन में रही है। मैंने भी ऐसी ही कुछ उम्मीदें पाल रखी हैं तुमको लेकर।
पुराने के साथ मैंने कुछ खोया है, मैं ऐसा नहीं कह सकती क्यूँकि सच तो ये है कि या तो मैंने पाया है, या मैंने सीखा है। खोने जैसी चीज़ कभी नहीं हुई। पाया भी बहुत कुछ है। इस पुराने से भी पहले जो पुराना वाला था, उससे भी मैंने बहुत कुछ पाया था और बहुत कुछ सीखा था। चाहा भी बहुत कुछ था। कुछ चाहतें पूरी हुई, कुछ बस रह सी गई। हर नए के साथ उम्मीद बँधी और धीरे धीरे ज़िंदगी आगे खिसकी। कुछ ख़्वाहिशें किसी ने पूरी की तो कुछ किसी और ने। अब जब तुम आ गए हो तो मैं एक बार फिर से ख़ुश हो रही हूँ। कुछ तो देकर जाओगे ही। ज़िंदगी के कुछ लम्हे तो तुमसे पूरे होंगे ही।
मैं कोई जोड़ घटाव नहीं कर रही, कोई ख़याली पुलाव भी नहीं पका रही…बस स्वागत कर रही हूँ। मैंने महसूस किया है कि ज़्यादा उम्मीद करने पर सिर्फ़ तकलीफ़ ही होती है। मैं बस तुम्हारे साथ जीना चाहती हूँ। तुम्हारे साथ जो कर सकती हूँ, वो ज़रूर करना चाहूँगी। यक़ीन करो, मैं तुम्हारे साथ हसूँगी, रोऊँगी भी। तुम्हारे साथ ज़िंदगी को एक अलग नज़रिए से देखूँगी। कोई वादा नहीं, कोई कसम भी नहीं, बस तुम्हारे साथ चलूंगी।
ज़िंदगी को जीने के लिए एक नया बहाना चाहिए, इस बार वो बहाना तुम हो। ‘2017’, मेरी दुनिया में तुम्हारा स्वागत है।
every time ur write up touches me …keep writing….👍.
Kya likha hai aapne. Naye saal pe naya tohfa.
U also gave me ‘BAHANA’ for a wonderful life. Thanks for inspiring always😊
Wow……what a welcme of year 2017…grt Shweta
Beautiful lines like you my sweetheart
accha likha hai..
Neeraj