‘काबिल’ रिव्यू


प्यार अंधा हो सकता है, पर वो कमज़ोर भी हो, ऐसा ज़रूरी नहीं। असंभव सी लगने वाली जीत भी प्यार में मुमकिन हो सकती है, अगर प्यार ‘काबिल’ है तो। जी हां, ह्रितिक रोशन और यामी गौतम स्टारर फ़िल्म ‘काबिल’ इसी मैसेज के साथ बॉक्स ऑफिस पर आ चुकी है जो दे रही है ‘रईस’ को टक्कर। फ़िल्म प्यार और बदले की कहानी है। ह्रितिक और यामी के अलावा इस फ़िल्म में रॉनित रॉय और रोहित रॉय की भी मुख्य भूमिका है।

कहानी है रोहन भटनागर यानी ह्रितिक रोशन और सुप्रिया यानी यामी गौतम की। दोनों ही अंधे हैं। एक ऑंटी के कहने पर दोनों मिलते हैं और शादी करने का फैसला करते हैं। शादी हो भी जाती है और तभी उनकी ज़िंदगी में आता है एक भूचाल, जिससे उनकी ज़िंदगी में आता है बिखराव। अमित शेलार यानी रोहित रॉय अपने दोस्त वसीम यानी सहीदुर रहमान के साथ सुप्रिया का रेप करता है और रोहन-सुप्रिया की ज़िंदगी में आ जाता है एक बिखराव। क्या होती है उस बिखराव और बदले की कहानी, इसके लिए फ़िल्म देखिए।

संजय गुप्ता का डायरेक्शन है, जो कि बेहतर कहा जा सकता है। फ़िल्म में इमोशन्स भी हैं, प्यार भी है, गुस्सा भी है, ज़रा सी लाचारी भी है तो बहुत सारी मजबूती भी है। हर भाव को संजय ने अच्छे से दिखाया है। अंधे ह्रितिक के बदले की कहानी सच्ची लगती है। फाइट सीक्वेंस पर भी यकीन बना रहता है। जब ह्रितिक पर्दे पर अंधे होने के बावजूद अपना बदला लेते हैं तो वो दर्शकों को उत्तेजित करता है। कुछ भी बनावटी नहीं लगता फ़िल्म में और दर्शक भी बंधे रहते हैं कि आगे क्या होगा? सिनेमेटोग्राफी काफी अच्छी है फ़िल्म की। अंधे इंसान के चीज़ों को परखने की ख़ासियत को भी संजय ने बहुत अच्छे से दिखाया है।

ह्रितिक ने इस फ़िल्म में बेहतरीन काम किया है। प्रेमी के रुप में और बदला लेने वाले फाइटर के रुप में वो बहुत जमे हैं। काफी लंबे अर्से से उन्हें एक अच्छी फ़िल्म की ज़रूरत थी, जो ‘काबिल’ से पूरी हुई। यामी का रोल बहुत ज़्यादा नहीं था, पर उन्होंने काम अच्छा किया है। माधवराव शेलार के रोल में रॉनित रॉय जमे हैं। उनके छोटे भाई रोहित रॉय ने भी एक बिगड़े लड़के का रोल अच्छे से निभाया है। नरेन्द्र झा, सुरेश मेनन और गिरीश कुलकर्णी का काम भी अच्छा है।

म्यूज़िक अच्छा है फ़िल्म का। सारे ही गाने अच्छे हैं और कहानी के अनुसार ही हैं। उर्वशी रौतेला पर फ़िल्माया ‘सारा ज़माना’ सुनने के साथ साथ देखने में भी अच्छा लगता है।

बदले की कहानी आपने पहले भी देखी होगी, पर संजय गुप्ता के अलग ट्रीटमेंट को देखने के लिए ये फ़िल्म देखिए। 2017 की ये सबसे बड़ी फ़िल्मी टक्कर है ‘काबिल’ और ‘रईस’ के बीच में। जो ‘काबिल’ हो, वही ‘रईस’ बने।

इस फ़िल्म को मिलते हैं 3 स्टार्स।

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