फ़ासलों का रिश्ता


‘मैं तुम्हारे लौटने का इंतज़ार करूंगा’ – रात के तीन बजे तुमने एक छोटा सा मैसेज किया। मैं फोन को देखकर बस मुस्कुरा रही थी।
‘अरे! अभी वक्त है मेरे जाने में। बस कुछ ही दिन की तो बात है। मैं यही हूं।’ – मैंने जवाब दिया। मैं क्या समझ रही थी और क्या लिखना चाह रही थी, ये मैं समझ नहीं पा रही थी। ‘मैं यही हूं, तुम्हारे पास’, क्या मैं ऐसा कहना चाह रही थी? पता नहीं…मुझे सच में नहीं पता।
‘ हां, जानता हूं, पर मेरे लिए ये एक लंबा गैप है।’ ये बात कहकर क्या कहना चाह रहे थे तुम? ये बात बस यूं ही कह दी जाए, ऐसा तो नहीं था ना? या शायद ऐसा ही था…

चंद लम्हों की ही बात थी और बातों ही बातों में हमें लत लग गई थी एक दूसरे की। ‘ये मैं क्या कर रही हूं?’, अब ये सवाल मुझे परेशान नहीं कर रहा था। मैं बस बह रही थी तुम संग। एक दूसरे के साथ बात करने का वक्त हम चुराने लगे थे। 1 घंटे की बातें अब बढ़कर 5 घंटे तक पहुंच रही थी। पहली दफ़ा हुआ कि दिल-दिमाग उलझे नहीं थे।

‘सुनो, तुम्हें चस्का तो नहीं लगेगा’ – मैंने सवाल किया। एक मिनट से भी कम देर में जवाब आ गया – ‘नहीं’। मैं हम्म कहकर रुक गई। हां, तुम्हें फर्क नहीं पड़ेगा शायद। मैं किसी की आदत और ज़रुरत बन जाऊं, ये मुश्किल बात हो शायद। तुमने तो दुनिया घूम कर देखी है। जाना और परखा है लोगों को। मुझे नहीं पता, पर 5 घंटे की बातें कैसी हो जाती हैं, ये तुम समझ रहे होगे। क्या मिलता होगा तुम्हें ऐसा? शायद कुछ ऐसा, जो तुम्हें सिर्फ मुझसे ही मिल पाता होगा।

‘मुझे याद मत करना, वैसे बता दूं कि मैं भूलने वाली चीज़ नहीं।’ – मैंने हंस कर तुम्हें छेड़ा। तुम शायद शांत से हो गए थे।
‘हां, तुम्हें भूलना इतना आसान ना होगा’ – तुमने धीमा सा जवाब दिया।
‘होगा? मतलब भूलने वाले हो?’ – मैं पता नहीं मज़े ले रही थी या तुम्हारे जवाब के बाद जो एक अजीब सी लहर उठी थी शरीर में, उसको शांत कर रही थी। तुम ने खुद को बंजारा बता कर अपने आप को भविष्य में होने वाली हर अनहोनी के मामले से खुद को सेफ कर लिया था शायद।

कुछ ना होकर भी हमारी बातों में बहुत कुछ था। लत, आदत, चस्का…जो भी कहिए, जब लग रही होती है तब पता नहीं चलता, पर जब पता चलता है तो फिर क्या हासिल होता है, इसका हिसाब सबके मामले में अलग अलग ही होता है।

तुम्हारी और मेरी ये टकराहट बस यूं ही तो नहीं हुई है। कोई ना कोई सबब तो इसका भी होगा। देखना ये है कि इस साथ की खुशबू हमें बस छू कर गुज़रती है या हमारी रुह में हमेशा के लिए बस जाती है…

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