‘अनारकली ऑफ़ आरा’ रिव्यू


वो पान खाती है, द्विअर्थी गाने गाती है, नाचती है, चीख कर गुस्सा भी करती है, किसी की बद्तमीज़ी पर उसे थप्पड़ भी लगा देती है, वैश्यावृत्ति के ग़लत आरोप में फंसने के बाद भी आत्महत्या का रास्ता नहीं चुनती….लोग उसे अनारकली कहते हैं। जी हॉं, वही ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ आज बॉक्स ऑफिस पर आ चुकी है। स्वरा भास्कर, संजय मिश्रा, पंकज त्रिपाठी, इश्तियाक आरिफ़ ख़ान जैसे मंजे हुए कलाकारों के साथ अविनाश दास ने डायरेक्शन की दुनिया में पहला कदम रखा है। बिहार बैकग्राउंड पर बनी ये फ़िल्म कई गंभीर और बेहद ज़रुरी मुद्दों को उठाती है।

ये कहानी अनारकली की है, जो नचैया और गवैया है। बिहार के एक ऑर्क्रेस्टा ग्रुप के साथ काम करती है, जो बोल्ड और बिंदास है। उसे गाना पसंद है, वो गाती है। उसे नाचना पसंद है इसलिए वो नाचती भी है। वो उन औरतों में से नहीं, जो लाचार और विवश होकर डर सहम कर बैठे। जिसे जेल या किसी की धमकी चुप करवा सके। अनारकली वो है, जो अपनी मर्ज़ी से किसी के साथ सो सकती है, पर बिना मर्ज़ी के कोई उसे हाथ लगाए, तो वो हाथ तोड़ सकती है। वो लिपस्टिक लगा के, रात को सड़कों पर निकल जाती है, सिगरेट पीती है, फर्राटे से गाली देती है, चोली और घाघरा जैसे शब्दों का प्रयोग कर द्विअर्थी गाने गाती है, गंदे हाव भाव के साथ नाचती भी है, पर वो रंडी नहीं है। हां, समाज के लिए ये ‘वो’ हो सकती है, जिसे लोग पत्नी के अलावा पालना चाहते हैं। जिनके लिए एक घर में भले ही जगह ना हो, पर घर के बाहर मर्द उन्हें पूरे आराम से रख सकता है।

स्वरा भास्कर ने अनारकली के किरदार को बेहद अच्छे से निभाया है। मां नाचती गाती थी, इसलिए अनारकली भी मां के काम को ही करती है और स्वरा इस रोल में पूरी रची बसी दिखी हैं। फूहड़ गाने गाकर, कमर मटका कर स्वरा ने उस किरदार को जीवंत किया है, जिसके गाने थक हार कर रिक्शे वाले सुनते हैं। एक ऐसा किरदार, जो सती सावित्री नहीं है। वो अपने बिज़नेस पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध भी बनाती है, पर अपनी मर्ज़ी से। अपने शर्तों पर जीना अनारकली की पहली शर्त है। फ़िल्म की कहानी को स्वरा ने अपनी अदायगी से एक अलग ही मुकाम दे दिया है।

यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और अनारकली के फैन धर्मेंद्र चौहान के रोल में संजय मिश्रा दिखे हैं। फ़िल्म में उनका किरदार उस सोच को दिखाता है, जो अनारकली जैसी औरतों को रंडी के रुप में देखते हैं। नहीं, रंडी से कम। हां, फ़िल्म में संजय उर्फ धर्मेंद्र यही कहते हैं कि अनारकली रंडी से थोड़ी कम है क्योंकि वो धंधा नहीं करती, बस गंदा गाती बजाती है। अब अनारकली सिंगर और डांसर तो है नहीं, वो तो गवैया और नचनिया है, तो ज़ाहिर सी बात है कि ऐसी औरतें को कोई कभी भी हाथ लगा सकता है। संजय ने अपने रोल को इतने अच्छे से निभाया है कि उनके किरदार से नफरत होती है। वी सी साहब, जो ठरक से भरे हुए हैं, हर जी तोड़ कोशिश करते है, उस ‘एक बार’ के लिए। अनारकली के ‘भी सी साहब’ समाज के उन पावरफुल लोगों में से हैं, जो किसी औरत के ब्रा का हुक खोलने पर उसको वैश्यावृत्ति के आरोप में फंसा सकते हैं।

रंगीला के रोल में दिखे हैं पंकज त्रिपाठी। पंकज अपने आप में एक मंजे हुए कलाकार हैं। रंगीला के रुप में पंकज ने उस किरदार को निभाया है, जो अनारकली का बिज़नेस पार्टनर है। चीज़ों के बिगड़ने पर वो अनारकली का साथ तो देता है, पर पैसे का नुकसान ना हो, या काम ना बंद हो जाए, उस डर में अनारकली को झुकने के लिए फोर्स भी करता है। अनारकली के साथ रंगीला की सिर्फ काम और पैसा ही साझा नहीं करता, वो जिस्म भी साझा करते हैं। रंगीला ना ही अनारकली को समझा पाता है और ना ही अपनी बीवी को…शायद तभी उसकी बीवी उसको छोड़ कर भाग जाती है। बाहर हर चीज़ संभालने वाले लोगों का यही अंजाम होता है। सही कदम और लालच के बीच फंसे रंगीला यानी पंकज त्रिपाठी अच्छे लगे हैं। कोर्ट के बाहर अपने हाव भाव से अनारकली को सराहता है।

अनवर के रुप में भी डायरेक्टर ने उस सोच को दिखाने की कोशिश की है, जो कला से प्यार करता है। उसका अनारकली से कोई रिश्ता नहीं है। यहां तक कि वो उसका प्रेमी भी नहीं है, पर वो अनारकली के हुनर की तरफ आकर्षित है। दिखने में वो बच्चा जैसा दिखता है, पर कोई दूसरा पुरुष अनारकली के पास जाए तो जलन की भावना उसे महसूस होती है। वो हर हाल में अनारकली का साथ देता है। कम उम्र का मर्द किसी औरत के साथ जाए तो औरतों पर अगवा करने का आरोप लग ही जाता है, पर अनवर अपनी मर्ज़ी से अनारकली का, उसके हुनर का साथ देता है।

दिल्ली में भी इश्तियाक के किरदार ने ये बता ही दिया है कि लोक गायिका, जिसकी आवाज़ इतनी अच्छी है, जो भीड़ को बेकाबू करने की शक्ति रखती है, उसे ‘देश के लिए’ संभालना चाहिए।

पिछले साल ‘पिंक’ फ़िल्म आई थी, जिसमें ‘No means No’ को बताया गया था। अगर वो शहर का ‘पिंक’ था, तो ये समझ लीजिए कि ये बिहार का ‘पिंक’ है। उस फ़िल्म में अमिताभ ये मैसेज देते हैं पर यहां अनारकली के पास कोई वकील नहीं, इसलिए वो खुद ही कहती है-

‘रंडी हो, रंडी से कम हो या फिर बीवी हो, हाथ पूछकर लगाना’

इस फ़िल्म को मिलते हैं 3 स्टार्स।

Leave a Reply

Your email address will not be published.