रंग


सुनो ना,

क्या आज भी,

तुम्हें नारंगी रंग है पसंद?

वही चटक वाला…

जिसे देखते ही,

रोम रोम खिल उठता था तुम्हारा

 

हां प्रिये,

आज भी नारंगी रंग उकसाता है

तुझसे जोड़ा है वो रंग मैंने…

पर सच कहूं,

हरा रंग अब ज़्यादा भाता है

वही हरा,

जो तुम्हारी पसंद था…

हरे रंग से बनी थी हरियाली

उगे थे ज़िंदगी में प्यार के फूल

जब तक तुम थी,

पत्ते भी हरे थे…

आज मुरझा कर नारंगी से बन गए

पर छोड़ो ना,

हरा हो या नारंगी,

रंग तो ज़िंदगी में तुमसे ही हैं…

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0 thoughts on “रंग

  1. it feels like both colors are very important in your life.

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