करो ऐसा


हस्ती पे मेरी यूं तुम हक़ जताना
क्या हूं मैं तेरी, मुझे ये बताना
बिखरे पड़े हैं, लम्हों के पन्ने
आने से पहले उन्हें तुम सजाना
अर्सा हुआ अब, रूठी नहीं मैं
रूठी जो अबकी, मुझको मनाना
टिकटा नहीं मन, ये मचले हमेशा
माया के लालच से खुद को हटाना
सांसों के ज़रिए, रूह में समाऊं
अपने मिलन का अब ढूंढो बहाना
मिल जाए दोनों, हो वो हवन अब
दुनिया हो अपनी, छोड़ो ज़माना

One thought on “करो ऐसा

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