6 दिसम्बर 2013


ऑफीस से घर जा रही थी कि तभी फोन आया कि भईया नहीं रहे। नहीं, शयद सुनने मे गलती हुई है मुझसे, ऐसा सोच के फिर से पूछा, फिर वही बात सुनाई दी कि भईया नहीं रहे। सांसे जहाँ थी वही रुक गई..अब क्या करूं, किसको फोन करूँ …समझ नहीं आया…बेटे को फोन मिलाया …हाँ , ये अजीब सा रिश्ता था कि भईया को भी भईया बोलती थी और उनके बेटे को भाई बोलती थी। मेरी आवाज़ सुनते के साथ ही वो चिल्लाया – दीदी , पापा चले गए। पापा चले गए दीदी, अब हम कैसे रहेंगे …मैं भी रो पड़ी और सिर्फ इतना ही कह पाई कि मत रो, मैं आ रही हूँ …मैं हूँ ना …भाग के हॉस्पिटल गई और भाई मुझे देखते के साथ ही मेरी बाहों मे झूल पडा…हमेशा बिन्दास रहने वाला भाई आज कमज़ोर दिखा। इतना कि शयद वो कभी कुछ नहीं कर पायेगा। उसको समझाया और भाग के भाभी के पास गई। घर मे घुसते ही बाबा पे नज़र पड़ी जो चुपचाप कुर्सी पे बैठे हुए रुमाल से अपने आंसुओं को पोंछ रहे थे। दूसरी तरफ भाभी रो रही थी और उनकी बेटी उन्हें चुप करवा रही थी। वो रात रोते कुछ ऐसे ही बीत गई। जब अगली सुबह आई तो हालत और भी अजीब सी थी। हॉस्पिटल वाले बॉडी रिलीज़ नहीं कर रहे थे क्यूंकि पेमेंट नहीं हुआ था…क्यूंकि इन्श्योरेन्स वालों ने अप्रूव नहीं किया था ….इस समय …ये सब …हॉस्पिटल कभी किसी का नहीं होता…भाई का फोन आया …दीदी ….रोने की आवाज़ ….मेरी तरफ से फिर वही एक बात, मैं हूँ ना, आ रही हूँ। खुद का रौब जमा के काम करवाया और उनको बाहर निकाला जो अब थे ही नहीं। घर आ के वापिस वही करुण रुदन ….भाभी ने बहुत कहा कि एक बार उठ जाओ, हम सब कहां जायेंगे…पर ये जाने वाले ज़िद्दी बहुत होते हैं…सुनते नहीं किसी की…बाबा के पास जा के खड़ी हो गई ….91 साल के थे…सामने बेटा चला गया जो सिर्फ 54 साल का था। बाबा कल से चुपचाप रो रहे थे और सबको देख रहे थे। उठे, फूल लिया और अपने बेटे के मृत शरीर पे डाल दिया, हाथ जोड़ा, गाल थपथापा के प्यार किया और खुद को सम्भालने की नाकाम कोशिश में उठे, लडखड़ाये और कुर्सी पे बैठ गए। समझ नहीं पा रही थी कि किसका दर्द ज्यादा है? इक्यानबे साल के पिता का जिसने बेटा खोया, पत्नी का जिसने पति खोया या फिर उन दो बच्चों का जिसने पिता खोया। घर का मुखिया ना हो तो सब बिखरा लगता है।दुनिया के सारे डर सर उठाने लगते हैं। यहाँ भी यही हुआ और शयद यही समय होता है जब परिवार की कीमत समझ आती है। तुम भी तो इस दर्द से गुज़रे हो ना। पिता के ना होने का तज़ुर्बा भगवान ने तुम्हें बहुत पहले ही करवा दिया था पर मैं आज उस दर्द को महसूस कर पाई। आज मेरी आँखों के सामने एक पुत्र , एक पति और एक पिता चला गया, उन्हें शान्ति मिले। तुम भी धीरज़ रखना, इस दुनिया में हम एक परिवार हैं, उस दूसरी दुनिया में जब जाएंगे तो उस परिवार में फिर से शामिल हो जाएंगे, जो हमसे पहले इस दुनिया से चले गए…….

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