“अगर आपके मम्मी पापा आपसे होमवर्क के लिए पूछे तो आप उनसे पूछिए कि क्या आपने आमिर अंकल का दिया होमवर्क किया?”
स्टार प्लस पे ये पंक्ति बोलते हुए जब मैंने आमिर को देखा तो मैं हैरान रह गई। क्यों? बच्चों का सहारा लेते मैंने सभी को देखा पर आमिर को इसकी ज़रूरत क्यों पड़ गई? मुझे आमिर का ये शो बहुत अच्छा लगता है। जिस तरह के मुद्दे वो शो में उठाते हैं, वो मेरे दिल को छूता है। जिस किसी भी वजह से, मुझे ये कोशिश अच्छी लगती है पर इस एक प्रोमो की लाइन ने मुझे थोड़ा परेशान कर दिया।
इस एक चीज को मैं हमेशा से ही महसूस करती आई हूं कि जो जगह ज्यादा नाज़ुक हो, वहां असर ज्यादा होता है। बच्चे भी ऐसे ही नाज़ुक हैं। सीरियल में देखो, ऐड फिल्म्स में देखो, बच्चों ने बड़ों को मात दे रखी है। अभी हाल ही में डाॅमिनोज़ पिज्जा का भी ऐड देखा। हंसी भी आती है कि बच्चे अब इतने बड़े हो गए हैं कि हर चीज़ वो ही बेचते हैं। दूध-बटर से लेकर मोबाइल तक, पिज्जा-पेट्रौल से लेकर आॅन लाइन आॅर्डर साइट तक। एक छोटा बच्चा अपनी खिलौने वाली कार चलाते हुए ये कहता है कि “कि करां… पेट्रौल खत्म ही नी होंदा”। फ्लिप कार्ड के ऐड मे दिखाया बच्चों को जाता है पर दाढ़ी मूंछ लगाकर, साड़ी, बिंदी के साथ आवाज़ भी बड़ों की दी जाती है। शायद सबको खजाना मिल गया है बच्चों के रूप में या फिर बच्चे कमाई की 100% गारंटी माने जाते हैं।
पहले यही चीज़ महिलाओं के लिए भी लगती थी। बाॅस, चाहे लड़की से उस ऐड का कोई वास्ता हो या नहीं हो, पर उसमें लड़की ज़रूर होती थी और वो भी नाम मात्र के कपड़ों के साथ। पुरूष के उपयोग की वस्तु है, पर महिलाओं को शामिल किया जाएगा। यही हाल बच्चों के साथ भी हो गया है। कह सकते हैं कि बच्चे साॅफ्ट टारगेट हो गए हैं। बस चीज़ों को बिकना चाहिए।
आज दीदी की बेटी ने मेरे आई 5 को देखकर कहा कि मासी ये फोन बड़ा कूल लगता है। मैंने हंस कर पूछा कि क्या है इसमें कूल, तो कहने लगी कि अरे, आई फोन है मासी। बड़ा मंहगा फोन है ना। मैं हैरां, शायद मैं भी पुराने ज़माने की हो चली हूं। बच्चों का चीज़ों की महत्ता आंकने का मापदंड मुझे समझ नहीं आता।
सबको छोड़ो तुम, अपने बेटे को ले लो। आज मेरे साथ मार्केट गया। मैं घर का सामान लेने लगी तो पूरे टाइम भाई साहब जी मुझे समझाते रहे-
मम्मी, प्लीज़ शुद्ध नमक ही लेना। शुद्ध नमक पता है ना?
मम्मी, तुम कुछ नहीं जानती, बाॅर्नविटा लो क्योंकि उससे मिलता है पूरा पोषण।
मम्मी, ये साबुन क्यों ले रही हो, पियर्स लो ना।
मम्मी, पेट्रोल सही भरवाओ तो इतनी जल्दी खत्म नहीं होगा।
बाज़ार में सब उसको इन बातों पे आकर प्यार करते हैं कि बड़ा ही प्यारा बच्चा है जी आपका, पर मेरा जी तो बस मैं ही जानती हूं। मुझे मेरे बच्चे में चाचा नेहरु के समय वाली मासूमियत क्यों नहीं दिखती? कुछ करो तुम वर्ना तैयार रहना गर कभी तुम्हारे टोकने पर वो तुमसे ही पूछ बैठे कि क्या आपने आमिर अंकल का दिया होमवर्क किया?