सुनो सुनाती हूं मैं राज़ की ये बात है,
बहके से आज दिल के हर जज़्बात हैं।
टूट कर भी जो कभी नहीं मरता,
इश्क की बस वो अनोखी जात है।
आती है आहट रह रह के अक्सर,
लगा के बैठा कहीं कोई घात है।
तसल्ली मिलती है उस घेरे में जाके,
होता गुमां कोई मेरे भी साथ है।
राजा होते भी वो हो जाता रंक है,
मुहब्बत में मिलती जब एक मात है।
उठते हैं जल रोशनी के चिराग तब
तेरे पहलू में गुजरती जब कोई रात है।
गुनगुनाने लगी है हर फ़िज़ा यहां पे,
कायनात बदलने में दिल का ही हाथ है।