ईमानदारी…जिम्मेदारी…समझदारी


दुनिया में रिश्ते सिर्फ औ सिर्फ विश्वास पर चलते हैं, इस लाइन में मैं एक और बात जोड़ना चाहती हूं और वो ये कि समझदारी ईमानदारी और जिम्मेदारी का एहसास भी बहुत ज़रूरी होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये दुनियादारी की, इतनी भारी भरकम बात कहने की भला मुझे क्या ज़रूरत आ पड़ी, तो चलिये, मुझे क्या…एक किस्सा फिर से सुना ही देती हूं।

एक मैम थीं। ऑफीस वाली यार…पैसों वाली नहीं। एक पूरी टीम उनके हिस्से। अब इस भूल भुलैया दुनिया में कुछ लोग आपस में टकरा ही जाते हैं, जिन्हें देख या सोच के आपको लगता है कि अरे वाह ! आज भी ऐसे लोग मिलते हैं या आज भी ऐसा रिश्ता बनता है। हमारी मैम को भी उनकी टीम में कोई ऐसा ही मिल गया, जो उन्हें पैम्पर करता…उन्हें हंसाता रहता…नौटंकी करता। नाम था उसका ‘लबरी’। अरे, लबरी का मतलब नहीं पता आपको..जो बहुत बकर बकर करे उसे लबरी कहते हैं। अब प्लीज़, बकर बकर का मतलब मत पूछिएगा। मुझे खीज भी मच सकती है। हां, तो उसका सही नाम नहीं पता, उसकी मैम उसको ‘लबरी’ कहती थी। टीम में और भी लोग थे। सोनाली, प्रकाश, रेहान, ममता और कविता। ऐसा नहीं कि मैम कुछ सोच कर लबरी से करीब थी या लबरी कुछ कैल्कुलेट करके मैम के पास थी…पर हां…जाने अनजाने दोनों बेस्ट बड्डी तो बन ही गए थे।

मन हमेशा एक जैसा नहीं रहता। मैम का भी नहीं रहता था। कभी कभी वो लबरी के चक्कर में प्रोफेशनली और पर्सनली पिस कर रह जाती थीं। पर ज़िंदगी में आपको चुनना पड़ता है और उस चुनाव के तरीके भी बनाने पड़ते हैं। मैडम जी ने चुन तो लिया, उसके तरीके भी बना लिए पर कहीं कहीं वो चूक रही थीं और इसी चूक में हो गई एक भूल, जिसे बताने के लिए देना होगा मुझे एक अजीब सा उदाहरण। कोई लड़का अगर कामुकता की आग में जल रहा हो और उसी समय कोई लड़की उसे उकसाए, तो फिर आगे क्या होगा, ये यहां लिखने की ज़रुरत नहीं। मैम के साथ भी बस ऐसा ही हादसा हो गया। हो गई थीं वो किसी बात पर लबरी से नाराज़। अब आप सब तो जानते ही हैं कि गुस्से में तो ज्ञान के भंडार ऋषियों ने भी शाप दे डाले थे, फिर ये तो मामूली सी मैम थीं। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के चक्कर में फंसी। कभी सब सही लगता तो कभी कॉंशियस सी हो जाती। ज़िंदगी के अपने इसी दर्द में वो एक दिन अकेले बैठी हुई थीं। तभी अचानक उनकी टीम से कविता उनके पास आई और हालात के बारे में पूछ डाला। कविता अच्छी लड़की थी। ज़िंदगी में उसके भी कई तजुर्बे थे। मैम को हमेशा लगता था कि वो एक समझदार और मेहनती लड़की है। कई बार मैम, लबरी और कविता ने कई लम्हें एक साथ बिताए भी थे। खैर, उस दिन कविता ने मैम के दर्द को छेड़ा और मैम ने भी उसी कामुक लड़के की तरह भावना में बहकर लबरी के खिलाफ गुस्से में जाने क्या क्या बोल डाला। अब अगर आप मैम को वैम्प समझ रहे हैं तो ज़रा रुकिए। ऐसा नहीं था क्योंकि जब मैम कविता के साथ अपनी भावनाओं को बांट रही थी तो वो बीच बीच में ये भी बोलती जा रही थीं कि शायद मैं गुस्से में हूं ना इसलिए इतना बड़बड़ा रही हूं। इस बात को 2 दिन बीत गए। गुस्सा था…उतर चुका था। लबरी के साथ वापस सब ठीक हो गया। कुछ ग़लत या गड़बड़ हो भी नहीं सकता था क्योंकि दोनों का रिश्ता अलग सा ही था। मुश्किल से बनने वाला…मुश्किल से टूटने वाला। 2 दिन तक लबरी ऑफिस नहीं आई। छुट्टी थी उसकी। जब तीसरे दिन आई तो आंखे लाल…सूजी हुई। अब आपको मैं पहले ही बता चुकी हूं कि लबरी और मैम का रिश्ता अलग सा था…उसने रोते हुए सब बता दिय। मैम हैरान…परेशान…कविता ने क्या कर दिया? कविता ने ये क्यों कर दिया? कविता ने ये कैसे कर दिया? एक एक बात लबरी को पता थी, जो मैम ने कही थी। उफ्फ्फ…मैम को ये नहीं समझ आए कि किस बार पर अभी रिएक्ट करें। लबरी का दिल उन्होंने तोड़ा इस बात पर या कविता ने उनका दिल तोड़ा इस बात पर। कविता की सारी समझदारी पानी की तरह बह गई। कह सकते हैं कि मैम ने उसके नंबर काट लिए। पर इस बार मैम जानती थीं कि उन्हें पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्ता मिक्स नहीं करना है। उन्होंने अपने जज़्बातों के ऊपर कंट्रोल करते हुए कविता को एक भी शब्द नहीं कहा। शायद यही सही भी था, पर कविता के मन में चोर था इसलिए उसने मैम से कई दफा पूछा। मैम उसके झूठ पर हैरान थीं। कविता अक्सर अपनी मैम से कहती थी कि मुझे इंसानों को पहचानना नहीं आता। आज मैम वही बात उसको कहना चाहती थीं। खैर, ग़लती मैम की ही थी, तो फिर खामियाज़ा भी उन्हें ही भुगतना था पर जैसा कि मैंने कहा कि जिम्मेदारी, समझदारी और ईमानदारी ज़रुरी है। लबरी ने मैम की ईमानदारी को भांपते हुए समझदारी दिखाई और मैम को माफ कर गले लगाया। दोनों ही मुस्कुरा रहे थे…मैम अपनी बेवकूफी पर और लबरी मैम के रोने पर…दोनों को ही पता था कि इस रिश्ते को बचाना दोनों की ही जिम्मेदारी है।

अब आप क्या सोच रहे हैं…जाइये…आप भी अपने रिश्ते में समझदारी, ईमानदारी और जिम्मेदारी लेकर आइये…

मैं भी जा रही हूं…’ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे..’ ये गाना सुनने…

dosti

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