‘किक’ फ़िल्म देखी है क्या आपने? अगर किस्मत खराब थी और आपने देख ली है तो कुछ नहीं कहना मुझे पर अगर आप भाग्यशाली थे और इसे नहीं देखा तो इसका एक डायलॉग यहां बताना चाहूंगी। सलमान का कहना है – “वो जीना भी कोई जीना है, जिसमें कोई किक ना हो पगली?” बस…अब दबंग ख़ान की इस लाइन को ध्यान में रखकर ये किस्सा पढ़िए…
अंकुश और सायरा कॉलेज में मिले थे। उनका मिलना भी बड़ा रोचक किस्सा था अपने आप में। अंकुश सायरा से 2 साल बड़ा था। ग्रेजुएशन फाइनल ईयर में अंकुश था और सायरा ने फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था। रैगिंग को आप जितना भी मिटा ले, वो किसी ना किसी रुप में तो आ ही जाती है और वो भी जब को-एड कॉलेज हो, तब तो फिर बस…। सायरा अच्छी सी लड़की थी। अच्छी सी इसलिए कह रही हूं क्योंकि दिलवालों के शहर दिल्ली में रहकर भी उसने कभी दिल के खेल नहीं खेले थे। अपने मां-बाप से दूर रहने का हिसाब उसे अदा करना था, जो किसी भी तरह की अय्याशी में तो पूरा नहीं ही किया जा सकता था।
वो कॉलेज का पहला दिन था जब सायरा के साथ कई स्टूडेंट्स को सीनियर्स ने घेर लिया था। ठुमके लगा कर दिखाओ…अरे…क्या जालिम जवानी है…ओए, तू क्या बच्चा पैदा करने वाला है साले जो पेट इतना निकाल कर रखा है…ऐसी कई आवाज़ें आ रही थीं, तभी एक और आवाज़ आई – क्या हो रहा है ये सब? सबने पलट कर देखा। ब्लू जींस और ब्लैक शर्ट में एक हैंडसम सा लड़का खड़ा होकर सबको देख रहा था। सारे सीनियर्स ने कहा कि अरे कुछ नहीं अंकुश, बस ऐसे ही जान रहे थे यार इन फ्रेशर्स को। खैर, हीरो की तरह एंट्री कर अंकुश ने सबको अपने अपने रास्ते भेजा। सायरा ने अपनी चुन्नी संभाली और आंखों से अंकुश को थैंक्स कहती निकल गई।
इस हादसे के बाद जो होता है, वही हुआ। पहले दोस्ती, फिर प्यार…समय ने कुछ जल्दी ही उड़ान भर ली और सायरा ने पढ़ाई पूरी कर जॉब भी ज्वाइन किया। वो एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रही थी और अंकुश एक सरकारी कंपनी में लगा था। दोनों को ही लगा कि अब शादी कर लेनी चाहिए। लड़का लड़की राजी, तो क्या करेगा काजी… हो गई शादी। समय फिर बीता। अब तक की कहानी में सब कुछ अच्छा था…मस्ती वाली ज़िंदगी, ऑफिस के अलावा एक दूसरे में खोए रहना…पर कहानी थोड़ी बदली जब सायरा और अंकुश की ज़िंदगी में मृदुल आया। सायरा मां बन चुकी थी और अंकुश पिता। पिता का शरीर भला बाप बनकर कब बिगड़ा है, तो बस…सायरा के हिस्से मोटी, बेडौल होने का इल्ज़ाम अचानक ही आ गया। पति-पत्नी के बीच सेक्स को काफी ज़रूरी हिस्सा माना जाता है पर फिगर का होना इसके लिए शायद कभी कभी बहुत ज़रुरी हो जाता है, ये बात सायरा को धीरे धीरे महसूस होने लगी थी। जो कहानी एक फ़िल्मी रोमांस के रुप में शुरु हुई थी, उसका रुप बदल रहा था। सायरा की ज़िंदगी अब सिर्फ मृदुल तक ही रह गई थी। एक बात और, जो मैं बताना भूल गई कि सायरा ने मां बनने के साथ ना सिर्फ फिगर खोया था, बल्कि जॉब भी खो दिया था क्योंकि कंपनी ने सायरा की छुट्टियों को देखते हुए हॉट मीरा को अपॉइंट कर लिया था। अब ये प्राइवेट कंपनीज़ भला किसकी हुई हैं जो सायरा की होती?
‘अरे! तुम इतना क्यों पीते हो?’- सायरा ने अंकुश को सहारा देते हुए पूछा। अंकुश ने उसके बालों को पकड़ कर खींचते हुए धक्का दिया। ये रोज़ के मसले थे। क्या ग़लत जा रहा था, ये सायरा की समझ से परे था। एक दिन अंकुश नहाने गया था और उसके फोन की घंटी बज उठी। किसी ‘जान’ का मैसेज था- बेबी, कल जो पोज़ ट्राई किया था, वो काफी अच्छा था। आज क्या स्पेशल है?’
सायरा के पैरों तले ज़मीन घिसक गई। क्या वो जो समझ रही है, वो सही समझ रही है? क्या अंकुश और जान के बीच ‘वैसे वाले’ संबंध हैं? नहीं…ये नहीं हो सकता। कांपते हाथों से सायरा ने सारे मैसेज पढ़ लिए। धीरे धीरे कई बातें खुल कर सामने आ रही थी, जिसे पचा पाना किसी के भी बस की बात नहीं। सायरा ने नल बंद होने की आवाज़ सुन जल्दी से फोन रखा और किचन की तरफ भागी। अंकुश के निकलते के साथ ही सायरा ने नमित को कॉल किया। नमित अंकुश का एक समय में बेस्ट फ्रेंड था और अब वो साथ ही काम करते थे। सायरा मृदुल के साथ नमित से मिलने एक कॉफी हाउस में गई। फिर जो बातें सामने आईं, उसे जानकर सायरा को अपनी ज़िंदगी बेमानी सी लगने लगी। कॉलेज में अंकुश ने सायरा के साथ प्यार की शर्त लगाई थी। शर्त जीतने के चक्कर में दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता भी बना। ये अलग बात है कि सायरा का मन से और अंकुश का तन से। कुणाल, जो सायरा की तरफ अट्रेक्टेड था, उसने अंकुश को धमकी दी कि अब अगर सायरा से शादी नहीं की तो उसके पिता को सब बताकर घर के हिस्से से बेदखल करवा दूंगा। अंकुश ने जायदाद को खोने के डर से शादी कर ली और बाकी सबने इस उम्मीद को पाल लिया कि शादी के बाद सब ठीक हो ही जाता है…पर ये हो ना सका…पहले दिन से ही नहीं …ये अलग बात है कि सायरा को अपने साथ हुआ ज़िंदगी का ये परिहास अब पता चला था। नमित ने बताया कि अंकुश काफी दिनों से ऑफिस भी नहीं आ रहा। सायरा जानती थी कि अंकुश बिज़ी था, अपनी जान के साथ पोज़ ट्राई करने में। वो भारी मन से घर आई। अंकुश जब घर आया तो सायरा ने इतने दिनों के साथ को याद कर एक कोशिश की पर जिसे नहीं बदलना होता, वो आपके मरने पर भी नहीं बदलता।
सायरा के पास मृदुल था, सायरा के पास जॉब नहीं थी, पर फिर भी सायरा ने एक विश्वास के साथ अंकुश को किक मारी। बच्चे की, समाज की, तानों की, परिवार की…कोई भी कमज़ोरी उसके आड़े ना आ सकी।
ज़रूरी होता है कभी कभी ज़िंदगी में कुछ चीजों को ‘किक’ मारना, वर्ना आपको आपकी ज़िंदगी में कभी भी ‘किक’ नहीं मिलता…
To be continued…
end aate aate kuch kami sii aa gayi.. shuru mein kahani acchi thi
बहुत सुन्दर चित्रण किया हैl आँखों के आगे दृष्य घुमने लगते हैl दुसरे भाग का इंतजार रहेगा l लिखती रहना
Manika, wait for second part. Hope you will like it:-)