क्यों नहीं हुए?


एक धूल भरी आंधी

उड़ा रही है सब कुछ बाहर

मैं भी उड़ रही हूं…

मिट भी रही हूं साथ ही साथ…

जैसे,

‘लाइफ स्टाइल’ के बिल से

कुछ समय बाद मिटती है स्याही

अपने होठों के सरहद से

पहली बार बड़ी मुश्किल से

निकाले थे कुछ शब्द मैंने…

पहुंचे भी थे तुझ तक

क्योंकि वापस नहीं आए मुझ तक…

नहीं समझ सकी एक बात मैं

तीन बार तलाक़ कहने पर,

जुदा होते हैं रिश्ते

फिर दिन में तीस बार तुम्हारा नाम लेने पर

तुम मेरे अब तक हुए क्यों नहीं?

blowing-with-the-wind

 

 

 

 

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