तुम तब क्या करोगे
जब किसी एक दिन
मैं भी बादलों के बीच छिप जाऊं
किसी दिन धागों की तरह
उलझ गई गर मैं तो?
सिर से गिरते बालों की तरह
टूट कर मैं भी गिर गई तो?
हाथ से फिसले गिलास की तरह
टूट कर बिखर गई तब क्या?
रुठ कर किसी दिन रात से
चांद की तरह छिप जाऊं तो?
तुम क्या कर पाओगे तब
जब मैं रुठ कर चली जाउंगी
कभी भी ना मानने के लिए….