हंगामा है चारों तरफ…सब कहते हैं कि ऑड-इवन फॉर्मूला अब दिल्ली का पॉल्युशन कम कर देगा। प्रदूषण रहित दिल्ली का निर्माण होगा। टीवी, रेडियो…हर जगह बस एक ही चर्चा कि ऑड तारीख को ऑड नंबर वाली कार चलेगी और इवन नंबर वाले दिन इवन नंबर वाली गाड़ी। कह रहे हैं कि इससे ज़िंदगी भी बढ़ेगी।
अब बात जब ज़िंदगी की आती है तो ज़ेहन में बस तुम्हारा ख़्याल आता है। वैसे ये आइडिया अच्छा है ऑड इवन का। ज़ाहिर सी बात है कि जहां भी हमें अपने कंफर्ट से निकलना होता है, हमें तकलीफ होती है, पर अगर उससे होने वाला फायदा बड़ा, अच्छा और हमेशा के लिए हो तो कर लेना चाहिए। इस फॉर्मूले ने मुझे एक नई सोच दे दी है। तुम मानो मेरी बात तो हम भी अपने रिश्ते में इस फॉर्मूले को अपनाते हैं ना। एक दिन तुम्हारा और एक दिन मेरा।
चलो, मैं इसे आसान कर देती हूं तुम्हारे समझने के लिए। एक दिन तुम बोलो, अपनी बात मनवाओ, अपनी ज़िद पूरी करवाओ…गुस्सा करना चाहो तो वो भी करो…मैं चुप रहूंगी और दूसरे दिन मेरा दिन होगा, इन्हीं तमाम मायने में। इससे कई फायदे होंगे। एक दिन बीतते बीतते शायद हमारा गुस्सा भी शांत हो जाए और अकेले हम कितना ही कुछ बोल पाएंगे। हमे भी तो अपने रिश्ते में बढ़ते प्रदूषण उर्फ कड़वाहट और दूरी को कम करना है। मैं चाहती हूं अपने रिश्ते की ज़िंदगी को बढ़ाना, इसकी तबीयत को ठीक रखना। घिसट घिसट कर या तिल तिल मरता रिश्ता मुझे नहीं चाहिए। तुम्हारी भी तो यही ख़्वाहिश है ना कि जब तक जिएं, एक साथ खुशी के साथ प्यार से जिएं। वैसे इस फॉर्मूले को अपनाने से हमारे घर में भी ध्वनि प्रदूषण कम हो जाएगा। हा हा हा हा….सोचो, जो दिन तुम्हारा होगा, मुझे तुम्हारा सहारा लेना ही पड़ेगा और जो दिन मेरा होगा, तुम मुझे इग्नोर नहीं कर पाओगे। हम दोनों ही एक दूसरे के ऊपर निर्भर रहेंगे।
तो चलो, फिर ये तय हुआ…एक दिन तुम्हारा और एक दिन मेरा। ऑड नंबर मेरा और इवन तुम्हारा। ये जो गुस्से में आकर तुमने ऑफिशियल टूर के लिए हां कह दिया है ना, तो अब गुस्सा थूक दो। अब वापस घर आ जाओ…आज इवन नंबर का दिन है…