क्लोज़िंग डे


आज सब व्यस्त हैं…मैं भी। 31 मार्च क्लोज़िंग का दिन होता है ना, तो सारी बैलेंस शीट देखनी होती है। बैठी हूं आज तुम्हारा हिसाब करने। तुम्हारा प्रॉफिट एंड लॉस एकाउंट देख रही हूं। बैलेंस शीट बननी मुश्किल है क्योंकि कुछ भी बैलेंस नहीं है। इतनी सारी चीज़ें बकाया हैं कि कैसे हिसाब करूं, समझ ही नहीं आ रहा।

ये देखो, सारे वादे अधूरे पड़े हैं। कुछ भी पूरा किया होता तो मैं जोड़-घटाव करके मैनेज कर भी लेती, पर यहां तो कुछ भी पूरा नहीं। ऐसेट देख रही हूं तुम्हारे। फिक्स्ड ऐसेट के नाम पर मैं थी, जिसे तुमने गंवा दिया। तुम्हारी अपनी प्रॉपर्टी देखूं तो भी कुछ ख़ास घर, गाड़ी, घोड़ा नहीं है। ले देकर सिर्फ मेरा प्यार ही है तुम्हारे पास और इस प्यार के बलबूते में देनदारी और लेनदारी ऐसी कर रखी है, जैसे कहीं के राजा हो। इतनी सारी जगह खुद को दे रखा है कि कोई लेखा – जोखा मिल ही नहीं रहा। ये क्या? तुम्हारी क्रेडिट हिस्ट्री तो देखो ज़रा, इतनी परियों को क्या सोच कर ज़िंदगी में शामिल किया? क्या फ्लर्ट कर रहे थे या अपनी किसी पूंजी को बढ़ा रहे थे? मुझे अपनी ज़िंदगी में बता कर जो लोन लिया है सबके प्यार का, वो कैसे चुकाओगे अब? इक मेरे होने से मुझसे जुड़े लोगों ने जो प्यार की उधारी दी, उसे चुका पाना अब तुम्हारे बस की बात नहीं लगती।

तुम्हारी ज़िंदगी के बैंक में और किसी का प्यार अब बाकी नहीं। ले देकर मैं ही हाथ में कैश रुप में बची हूं। बिल्स देखूं तो मेरे आंसू, मेरे दर्द, मेरी सिसकी, मेरी आह…और भी जाने कितनी चीज़ें…कैसे चुकाओगे ये सारे बिल्स?

चलो, अगर ऐसेट के बाद लायबलिटीज़ देखूं तुम्हारी तो वो भी अधूरी ही पड़ी हैं। मेरे को लाकर ज़िंदगी में जो प्रॉफिट किया था, अब मुझे खोकर उससे ज़्यादा का लॉस कर चुके हो। मेरे स्वामी बनने से पहले ही मेरी ज़िंदगी से बहुत सारा प्यार और समय लिया है लोन और एडवांस के रुप में। इनको चुका पाना तुम्हारे बस की बात अब नहीं लग रही मुझे। तुमने अपने एकाउंट में सिर्फ झूठ जमा कर रखा है, जिससे कुछ भी नहीं हासिल कर सकते। मेरे जाने के बाद तुम्हारी ज़िंदगी की इन्कम भी नहीं दिख रही। मेरे रहते में जो मिला था तुम्हें, अगर उसको भी बचा कर, संभाल कर रखते तो आज कुछ तो होता तुम्हारे पास। अब जब सारी हिस्ट्री इतनी बिगड़ी है तो बैलेंस शीट कैसे बराबर होगी?

सबका हिसाब हो चुका है, बस तुम्हारे पर ही बात अटकी है। अगर मुकदमा लड़ा भी जाए तुम्हारे केस के लिए, तो भी बात तुम्हारे हक में नहीं आएगी, क्योंकि तुमने दिया कम और लिया अपनी औकात से ज़्यादा है। पलड़े बराबर हो ही नहीं सकते। अब चुकाओ तुम उन सब कर्जों को, जो तुम्हारे सिर चढ़कर बोल रहे हैं। अब थोड़ी तनहाई, थोड़े दर्द और आंसु लो, जिससे कुछ बराबर सी बात बने। टीस चुभेगी तो शायद कर्ज जल्दी उतरे। तुम्हें पता है ना यहां के नियम, सॉरी बोलने या हाथ जोड़ने से बात नहीं बनती। किसी जिम्मेदारी का निर्वाह करते तो थोड़ा कुछ बैलेंस होता, पर अभी तो बस ऐसा लग रहा है कि फंसे ही रहोगे।

अभी तुम्हारी बैलेंस शीट को कोई ठौर नहीं मिल सकता….बैलेंस शीट के ना बन पाने की वजह से तुम्हारी ज़िंदगी का रिकॉर्ड भी इनकम्पलीट ही रहेगा…

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