‘पता है, कभी सोचा भी नहीं था कि वक्त मेरे लिए भी बदल सकता है। मैंने तो मान ली थी ये बात कि अब मेरी ज़िंदगी में कुछ नहीं बदलेगा। जो जैसा है, वो वैसे ही चलता रहेगा, पर देखो ना, ऊपर वाले ने कुछ और ही सोच रखा था मेरे लिए। उसने मेरी ज़िंदगी में तुमको देकर शायद मेरे सारे गुनाहों को माफ कर दिया। शुक्रिया मेरी ज़िंदगी में आने के लिए। तुमसे मिलकर जाना कि मैं इतना भी बुरा नहीं, मुझसे भी किसी को प्यार हो सकता है। मेरी ज़िंदगी संवार दी है तुमने। अब कभी जाना मत। भगवान का एक हसीन तोहफा तुम्हारे रुप में मिला है मुझे। मुझे एक मर्द बनाने के लिए धन्यवाद। अब मैं खुद को भी चाहता हूं। मैं बहुत टेढ़ा इंसान हूं, पर तुमने बहुत अच्छे से मुझे समझ कर संवारा है। अब रह नहीं पाऊंगा तुम बिन….बस जाना मत कभी….’
‘तुम्हारा चेहरा आजकल बहुत चमक रहा है, are you pregnant?’ – कॉलेज में घुसते के साथ ही एक सीनियर प्रोफेसर मैम ने मुझे छेड़ा और मैं तुम्हारे ख़्यालों से वापस आई। प्रोफेसर मैम की बात सुनकर मैं हंसने लग गई। पिछले 6 महीने से तुम्हारी बॉर्डर पर ड्यूटी लगी थी। आज रात तुम्हें वापस आना था और मैं सुबह से ही तुममें, तुम्हारी कही हुई बातों में गुम थी।
शादी के 2 साल हो चुके थे। आर्मी का लड़का है, ये सुनकर मेरे दिल ने रिश्ते से ना करने का सोचा था, पर तुमसे मिलने के बाद दिल का दिमाग बदल चुका था। घबराहट थी कि साल में 1या 2 बार मिलकर मैं कैसे ज़िंदा रहूंगी, पर तुम्हारी बातों ने मुझे कहीं ना कहीं हौसला दिया था। इन 2 सालों में हम 2 महीने के आस पास ही साथ रहे होंगे, पर लगता है जैसे जाने कबसे तुम्हें जान रही हूं। शादी की पहली सालगिरह पर तुम्हारे बोले शब्द आज भी सोचने पर उसी तरह रोमांचित करते हैं, जैसे पहली बार सुनने पर किए थे। तुमसे जुड़ने के बाद बस एक ही चीज़ चाही है मैंने, जहां भी रहना, बस ज़िंदा रहना…सिर्फ यही एक डर है जो मेरी इस हालत में सही नहीं, जो डराता है…पर यकीं है, मेरे बिना तुम किसी दूसरी दुनिया में नहीं जा सकते। हर दिन जब फोन की घंटी बजती है और तुम्हारा ‘हैलो’ मेरे कानों में जाता है, तब जाकर दिल को तसल्ली मिलती है। मेरे हर दिन बस कुछ डर, कुछ इंतज़ार और कुछ प्यार के भावों के साथ बीतते हैं।
‘हां, सही पकड़ा है आपने मैम, प्रेग्नेंट तो हूं मैं और वो निखार भी इसी वजह से है, जो मेरे चेहरे पर दिख रहा है।‘ मैं मैम को देखकर हंसते हुए बोलने लगी। ‘are you serious, मैंने तो यूं ही कह दिया था। कितने महीने हो गए? पता भी नहीं चला।‘ मैम हैरान सी मुझे ही देख रही थी। मैं हंसने लगी। ‘महीने नहीं, साल हुए हैं और वो भी 2 साल’ – कहते हुए मैं और तेज हंसी। मैम मुझे आश्चर्य से देखने लगी और हंसते हुए पागल कहा। क्लास लेने का समय हो चुका था इसलिए हम दोनों ही अपने अपने लैक्चर देने के लिए क्लासरुम की तरफ भागे।
मैम को मेरी बात समझ नहीं आई, पर तुम तो समझ रहे हो ना। प्रेग्नेंट तो हूं मैं और मेरे अंदर बहुत कुछ पल भी रहा है। तुम्हारा वो प्यार, जो इन 2 सालों में तुमने मेरे हवाले किया है, उसे मैंने मेरे अंदर ही पाला है। हां, मैं हूं प्रेग्नेंट…मेरे अंदर पल रही है तुम्हारी वो चाहत, तुम्हारे वो शब्द….जो मेरी रुह तक को निखार रहे हैं। हां, मुझे पता है कि प्रेग्नेंसी के वक्त जाने कितनी ही बातों का ध्यान रखा जाता है और यकीं मानो, मैं उन सबका ध्यान रख भी रही हूं। तुम्हारी यादों को मैं चबा चबा कर इत्मिनान से समय समय पर खाती हूं। गुस्से से कोसो दूर हूं। तुम्हारे फोन कॉल्स मन के हर विटामिन को पूरा कर देते हैं। अब ऐसा भी नहीं कि कड़वे पल नहीं हैं साथ, पर यकीं करो, अच्छे इतने हैं कि कड़वेपन का स्वाद छू भी नहीं पाता मुझे। कॉलेज में सब पूछते हैं कि इतनी लंबी जुदाइयों में तू कैसे रह लेती है भला? अब इन्हें कैसे बताऊं कि दिल तुमसे जुड़ा है इसलिए इस दिल का दिमाग भी अलग ही है।
आज 6 महीने बाद मिलोगे तुम। आ जाओ…एक सोच पाली है मैंने…तुम्हारे आने पर, तुम्हारे सामने ही पैदा करूंगी उसे…हां, मैं हूं प्रेग्नेंट…
apne andar kuchh bhi palna sabke bas ki baat nahin. jo aisa kar sakta hai woh anmol hai. superb writing 🙂