सुनो ना,
लोग हैरान हैं, बहुत परेशान हैं
साठ साल में ये कैसा साथ
झुर्रियों में कैसे पकड़ा हाथ
मेरी ज़िंदगी में तेरा आना
दे रहा है सौ सौ ताना
शादी की उम्र नहीं यह तेरी
ना लाँघना अब घर की देहरी
जब वक़्त था तब सोई रही
शादी की बात थी सबने कही
बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम
कैसे जाएगा यह पैग़ाम
मत कर ये मज़ाक़ तू अब
इसे कौन पचा पाएगा कब
तू रोक दे यह सात फेरे
रह जाने दे सपने अधूरे
सुन कर ये सब हूँ परेशान
उम्र की सीमा पर हूँ हैरान
शादी करने में हो गर देर
ख़ुशियाँ लेंगी क्या मुँह फेर
तुम ही कहो अब क्या करूँ
तुम बिन अब कैसे जियूँ
सुनो प्रिये,
छोड़ दो दुनिया की बात
समझो बस ख़ुद के जज़्बात
हर सीमा से परे है प्यार
बस इस पर ही हो ऐतबार
साथ की कोई उम्र नहीं
प्यार ने यह बात कही
वक़्त के घेरे से आज़ाद है प्यार
उम्र का नहीं मोहताज़ है प्यार
हमउम्र है हर उम्र में वो
आया साथ निभाने जो
मैं साथ तेरे तू साथ मेरे
बस यही सच सबसे परे
यही पर ज़िंदगी बसती है
साथ वो सुंदर दिखती है
Good thought…That is the time when someone’s love n care n company needed the most.
haan, pyar ki koi umra nahi hoti. kabhi bhi kisi bhi stage par yeh ehsas jag sakta hai.