रोक टोक में अटका मन, बेताब है उड़ जाने को
दिल की ये गहराईयां, कौन आया छू जाने को
टूटे दिल के साज़ हैं, इस जहां में कई दफ़ा
टूटी सी ये शहनाई, कौन आया बजाने को
पत्थर को भी तुमने, कभी देखा है मोम बनते
एक तीली से ये दीया, कौन आया जलाने को
पिंजड़े में जो कैद थीं, अब हंस रही वो हसरतें
पंख देकर उन्हें नए, कौन आया उड़ाने को
हो जाएंगी कभी तो पार, चाहतों की सरहदें
प्यार से यूं प्यार को, कौन आया जताने को
Bahhut Nadiya…..