सुनो ना,
ज़िंदगी से जुड़ने के लिए
टूटन क्यों ज़रूरी भला?
कोरे कागज़ पर शब्द उतरे जैसे
क्यों नहीं उतरता वैसे दर्द सीने का
प्रिये,
दर्द दिलों को जोड़े है
कुछ बिखरे से अफ़साने कह लो
या कह लो तुम टीस उसे
रह रह के रिसते हैं ये
ज़ख़्म जब भी भरे है
तब ही ज़िंदगी मिले है
सुनो,
क्या हमें भी उस दर्द ने मिलवाया
क्या टूटे हो तुम भी मुझ जैसे
तुम क्या ज़िंदगी से मिलवाओगे
या फिर एक नया चेहरा दिखाओगे
इस बार तो ना होगा इश्क़ में हादसा
प्रिये,
हम दोनों टूटे, तभी जुड़े
दुआओं में तुम शामिल हो बैठी
नहीं देखी ज़िंदगी अब तलक
हम साथ में खुद पल बनाएंगे
हां, होगा इश्क़ में हादसा ज़रूर
इश्क़ को मिलेगा मुक़ाम इस दफ़ा