खोकर ख़ुद को पाने का मज़ा ही कुछ और है। अब देखो ना, जबसे तुम्हारी बातों में खोई है ज़िंदगी, रंग ही बदल गया है उसका। सम्भावनाओं की भाषा तुमसे सीखना कितना अच्छा लग रहा है मुझे, जैसे तुमसे बेहतर यह ज्ञान मुझे और कोई दे ही नहीं सकता।
सोच हैरान होती है मेरी कभी कभी कि जो जैसा है, उसको उसी रूप में तुम कितनी सहजता से स्वीकार कर लेते हो। हाँ, लोग नहीं स्वीकारते। अतीत व्यतीत होता है, इतनी सी बात नहीं समझते लोग….पर तुम समझते हो। तुम्हें ना ही किए गए पाप से विरक्ति है और ना ही पुण्य का कोई आकर्षण।
तुम सहज हो, सच्चे हो इसीलिए बहुत सुंदर हो। किसी से मिलने के लिए मन लालायित हो उठे, ऐसा अक्सर देखा गया है, पर मिलने के बाद शांति की अनुभूति थोड़ी मुश्किल होती है। तुम इस मामले में भी अपवाद…तुमसे मिलकर कुछ यूं लगता है जैसे मानो मेरी पूरी रुह सुकून से भर गई हो…
किसी मायाजाल के बिना कोई साथ मिल जाए, तो समझिए कि भाग्य ने आपका साथ दे दिया है। इस बार तो मेरा भाग्य भी चमका है…
Your writing is so deep and meaningful.
Please write a book, I am sure readers gonna love that.
I just you… When you write my dancing supper star… Keep the spirit..
Thought full , touching and inspiring ❤️❤️❤️
Keep it up baby ❤️❤️❤️