‘शिव’ मुझे बहुत अच्छा लगा। उसका ‘बदन’ भी पसंद आया। उसकी संवाद अदायगी, उसका छिछोरापन, उसकी लफंगई….उसमें सब कुछ ऐसा है, जो किसी की भी चाहत बन जाए।
‘राब्ता’ फ़िल्म, जो आज आ चुकी है बॉक्स ऑफिस पर, उसमें सुशांत सिंह राजपूत के किरदार का नाम ‘शिव’ है और मैं यहां उसी की बात कर रही हूं। इसका किसी भी ‘धर्म’ से कोई लेना देना नहीं है। सायरा के रोल में कृति सेनन भी बहुत अच्छी लग रही हैं और जैक के रोल में जिम सर्भ भी जंचे हैं। पूरे मेकअप के साथ राजकुमार राव भी बहुत अलग दिखे हैं, पर काश करने के लिए भी कुछ दिया जाता उनको। कहने का ये मतलब है कि हर कोई अपनी अपनी जगह सही लगा है पर इतिहास गवाह है कि कमज़ोर कहानी किसी को सही जगह टिकने नहीं देती। वरुण शर्मा टाइप्ड हो गए हैं। कुछ नया उनके काम में दिखता नहीं।
पुनर्जन्म की कहानी लाकर दिनेश विजन ने अपना कुछ सही विज़न तो दिखाया नहीं। एक प्रोड्यूसर के रुप में उन्होंने काफी काम किया है पर डायरेक्शन में उनका ये पहला कदम है। ‘राब्ता’ को देखते हुए ‘मिर्ज़या’ की याद भी आ सकती है। ‘राब्ता’ की कहानी बहुत ही कंफ्यूज़ करती है। फर्स्ट हाफ बहुत अच्छा था पर सेकेंड हाफ में सब हिल जाता है। सीन्स भी कहीं कहीं बहुत लंबे लगे हैं। पुनर्जन्म वाले सीन्स में डायलॉग्स को भी काफी ध्यान से सुनना पड़ता है।
गाने अच्छे हैं। एक गाने में दीपिका पादूकोण भी अपनी लंबी सेक्सी टांगों के साथ दिखी हैं, पर सिर्फ उसे देखने के लिए तो फ़िल्म नहीं देखी जा सकती। ‘राब्ता’ देखने की जो वजह हो सकती है, वो है कृति और सुशांत की जोड़ी। दोनों साथ में अच्छे लगे हैं। ख़ासकर सुशांत को देखना दिलचस्प है। वर्तमान और पुनर्जन्म, दोनों ही जगह सुशांत की मेहनत साफ दिखाई दे रही है।
इस फ़िल्म को मिलते हैं 2.5 स्टार्स।