सूरज निकलने से पहले
चॉंद निकलने के बाद
निकलते हैं शब्द कई,
जैसे डरते हैं रोशनी से…
निकलते हैं कदम कई,
रात के अंधेरे से होकर निडर…
उल्लू सी हो जाती हैं ऑंखें,
जो देख सकती हैं सब कुछ…
दिन के उजाले से बेख़बर
छिपते छिपाते, नज़रें बचाते
शब में होते हैं कई मिलन
पूरी दुनिया से छिपता ये प्यार
करता है वादे कई
काली चादर ओढ़ कर
पनपता है पूरा एक रिश्ता
हॉं,
कुछ लोग होते हैं
अँधेरे औ’ रात के साथी
सुंदर भावपूर्ण रचना ।
Profound
herat touching lines nc