सुनो ना,
क्या यहां सब कुछ सच है?
मन का मचलना भी,
उसकी बेचैनी भी?
चाहतों की चीखें भी,
उसका कुचलना भी?
दिल का दर्द भी,
उसका रोना भी?
सुना ना जो साक्षात,
उसका आभास भी?
क्या सब कुछ?
हां प्रिये,
सब कुछ सच है…
मन की उम्मीदें भी,
अनजान सी आशाएं भी…
चाहतों का पनपना भी,
बेल से दरख़्त बनना भी…
दिल की मुरादें भी,
रोज़ नई ख़्वाहिशें भी…
रोती हुई आंखों में,
किसी सोच से आई चमक भी
दिल का गुमां भी,
जो पाया ना वो मुकां भी…
Jabardast bhav , emotions , shabdon me ukere hain 🌸🌸👍👍