‘शुभ मंगल सावधान’ रिव्यू


‘मर्द वो नहीं होता जिसको दर्द नहीं होता। मर्द वो होता है जो ना दर्द देता है और ना देने देता है।’ – ये बात फ़िल्म ‘शुभ मंगल सावधान’ में आयुष्मान खुराना ने कही है। फ़िल्म 2013 में आई तमिल फ़िल्म ‘कल्याण समयाल साधम’ का हिन्दी रीमेक है, जिसको आर एस प्रसन्ना ने आनंद एल राय के साथ मिलकर बनाया है।

वो जो ‘मर्दों वाली प्रॉब्लम’ होती है ना, फ़िल्म में उसको ही दिखाया गया है। आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर, बृजेन्द्र काला, सीमा पाहवा, शुभंकर त्रिपाठी, अनमोल बजाज, अंशुल चौहान की बेहतरीन एक्टिंग से सजी है फ़िल्म ‘शुभ मंगल सावधान’।

कहानी मुदित शर्मा (आयुष्मान खुराना) और सुगंधा जोशी (भूमि पेडनेकर) की है। मुदित सुगंधा को प्यार करता है, पर कभी इज़हार नहीं कर पाता। जिस दिन हिम्मत करके इज़हार करने जाता भी है, उस उसको भालू पकड़ लेता है, पर अच्छी बात ये होती है कि उसी दिन से सुगंधा मैडम को भी मुदित अच्छा लगने लगता है। मुदित ऑन लाइन सुगंधा को शादी की रिक्वेस्ट भेजता है, जिसको सुगंधा की फैमिली स्वीकार कर लेती है। दोनों की मंगनी होती है और ‘शगुन के लिफाफे’ भी दे दिए जाते हैं और उसके बाद मुदित की गुप्त समस्या की बात आती है सबके सामने। क्या दोनों की शादी हो पाएगी, इसके लिए फ़िल्म देखिए।

इस फ़िल्म को देखने के बाद जो सबसे पहली चीज़ दिमाग में आती है, वो हैं इसके डायलॉग्स। हितेश केवल्य ने संवादों को इतने बेहतरीन तरीके से लिखा है कि हंसते हंसते पेट में दर्द हो जाए। डबल मीनिंग डायलॉग्स होने के बाद भी वो अखरता नहीं है क्योंकि फ़िल्म का मुद्दा ही लीक से अलग हटकर उठाया गया है। आर एस प्रसन्ना का डायरेक्शन कमाल का है। ये उनकी पहली हिन्दी फ़िल्म है और बहुत अच्छी बनी है। लोकेशन्स, कैमरा वर्क कमाल का है। प्रसन्ना ने एक बहुत अच्छे मुद्दे को जिस तरह से दिखाया है, वो देसी अंदाज़ बहुत हंसाता भी है और बहुत कुछ समझाता भी है। फ़िल्म की शुरुआत में दूसरी फ़िल्मों के फेमस सीन्स को मज़ेदार डायलॉग्स के साथ दिखाना भी काफी अलग लगता है, और लड़कियों के लिए प्यार का मतलब ही ‘बॉलीवुड’ है, ये जानना इंट्रेस्टिंग लगता है। फर्स्ट हाफ तो हंसा हंसाकर पागल कर देने वाला है। सेकेंड हाफ में 19-20 वाला अंतर आता है, जिसको थोड़ा और बेहतरीन बनाया जा सकता था।

आयुष्मान ने पहली ही फ़िल्म से अपनी बेहतरीन एक्टिंग दिखाई है और हर नई फ़िल्म के साथ वो ज़्यादा निखरने लगे हैं। बहुत ही स्वाभाविक तरीके से उन्होंने पुरुषों की समस्या से जूझते मुदित का किरदार निभाया है। ऐसा कहा जा सकता है कि देसी जोनर की फ़िल्मों के लिए आयुष्मान एक्सपर्ट हो चुके हैं। भूमि का काम भी सहज है। ‘दम लगा के हईशा’ के बाद इन दोनों की जोड़ी को फिर से देखना बहुत अच्छा लगता है। भूमि ने बहुत वजन कम किया है और वो बहुत अच्छी भी दिखी हैं। पति के सेक्सुअल प्रॉब्लम को हैंडल करती सुगंधा के रोल को भूमि ने बेहतरीन तरीके से पर्दे पर उतारा है। बृजेंद्र काला का काम भी कमाल का है। सुगंधा के ताऊ के रोल में वो जब जब पर्दे पर आते हैं, हंसा कर जाते हैं। सीमा पाहवा भी बहुत अच्छी एक्ट्रेस हैं। ‘बरेली की बर्फी’ में अभी उनके काम को बहुत सराहा गया और फिर से वो इस फ़िल्म में सबको हंसाने के लिए हाज़िर हैं। ‘अलीबाबा 40 चोर’ की कहानी को भी सीमा पाहवा अब कभी आपको भूलने नहीं देंगी। इसके अलावा शुभंकर त्रिपाठी, अनमोल बजाज, अंशुल चौहान का काम भी बेजोड़ है।

बैकग्राउंड स्कोर फ़िल्म का अच्छा है। गाने भी कहानी के अनुसार ही हैं, जो अच्छे लगते हैं सुनने में।

‘नॉट सो हॉट’ और ‘नॉट सो कूल’ लड़के की कहानी को देखने के लिए, ‘इरेक्टाइल डिसफंक्शन’ की समस्या से जूझते लव बर्ड्स को देखने के लिए, ‘अलीबाबा 40 चोर’ की नई कहानी को जानने के लिए फ़िल्म देखिए।

इस फ़िल्म को मिलते हैं 3.5 स्टार्स।

 

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