
और कहीं किसी रोज़
एक आवाज़ सुनी मैंने
मेरा नाम भी सुना उसमें
नज़रें घुमाकर भी देखा
कहीं कुछ नज़र नहीं आया
बादलों के पार था शायद कुछ
हां,
कुछ तो था
जो मुझे ढूंढ रहा था
मुझे मेरा नाम
कभी इतना ना भाया था
बेमिसाल होने का भाव अंदर समाया
लाज़िमी था मेरा इतरा जाना
मैं ख़्याल थी,
किसी और का…
Superb
सुंदर रचना ।
सुंदर भाव , सुंदर रचना ।
superb
main khyal thi kisi aur ka
bahut hee behtreen rachna,aapki lekhni uttam koti kee hai .