बहुत सारे स्टारकास्ट की भीड़, टूटी टूटी हुई सी कहानी और सत्ता को पाने की लड़ाई लेकर बॉक्स ऑफिस पर हाज़िर है ‘साहिब बीवी और गैंगस्टर 3’।
कहानी रानी माधवी देवी (माही गिल), उनके पति आदित्य प्रताप सिंह (जिम्मी शेरगिल), उदय प्रताप सिंह (संजय दत्त), मोना (चित्रांगदा सिंह), रंजना (सोहा अली ख़ान) उदय के ताऊ जी (कबीर बेदी), भाई (दीपक तिजोरी), मॉं (नफ़ीसा अली) की है। माधवी देवी और आदित्य जहां सत्ता में आने की लड़ाई में लगे हैं तो वही उदय गुस्सैल है और अलग तरीके से लोगों को मारता है।
तिग्मांशु धुलिया का डायरेक्शन है। फ़िल्म के पहले भाग में कहानी बहुत ही धीमी और टूटी टूटी सी चलती है। एक साथ कहानी के अलग अलग हिस्सों को दिखाने में फर्स्ट हाफ की खिचड़ी सी बन गई है। सेकेंड हाफ में कहानी फिर भी थोड़ी आगे बढ़ती है। संजय दत्त और जिम्मी शेरगिल के बीच के संवाद रोचक हैं। वही जिम्मी और माही गिल के डायलॉग्स भी इंट्रेस्टिंग हैं। कोई किसी से कम नहीं है फ़िल्म में। कहानी कहीं कहीं भटकी सी लगती है। कहानी से कनेक्ट करना मुश्किल है। स्क्रीनप्ले बहुत कमज़ोर है, जिसकी वजह से मेगा स्टार्स का जादू भी फीका ही पड़ता है।
एक्टिंग के मामले में सब एक से बढ़कर एक हैं। माही गिल लंबे समय बाद अपने उसी राजसी स्टाइल के साथ दिखाई दी हैं तो वही जिम्मी का भी शाही अंदाज़ अच्छा है। तिग्मांशु धुलिया ने इस बार फ़िल्म में संजय दत्त को भी जगह दी है और सॉलिड जगह दी है। संजय ने अपने किरदार को सही तरीके से निभाया है। नफीसा अली भी ज़माने बाद नज़र आई हैं। कबीर बेदी, दीपक तिजोरी का काम भी अच्छा है। सोहा के हिस्से ज़्यादा काम नहीं आया। चित्रांगदा सिंह संजय दत्त की रखैल बनी हैं और जो भी उनके हिस्से आया, वो उसे निभा गईं।
अगर आप संजय दत्त, माही गिल या जिम्मी शेरगिल के फैन हैं तो अपने रिस्क पर मूवी देखिए, पर अगर आप इस फ़िल्म के पहले दोनों पार्ट्स को दिमाग में रखकर जाएंगे, तो ये तीसरी कड़ी आपको निराश करेगी।
Like always, great content, Keep up the good work!
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