मई में ईद के मौके पर रिलीज़ होने वाली ‘लक्ष्मी’, अब दिवाली के मौके पर आ चुकी है। डिज़्नी हॉट स्टार पर रिलीज़ हुई ये फ़िल्म ट्रांसजेंडर और उनके प्रति समाज की सोच को बताती है। ‘लक्ष्मी’, तमिल फ़िल्म ‘मुनि 2- कंचना’ का रीमेक है, जिसे राघव लॉरेंस ने डायरेक्ट किया था। ‘लक्ष्मी’ भी उन्होंने ही डायरेक्ट की है।
कहानी की बात करूं तो आसिफ़ और रश्मि ने लव मैरिज की है, जिससे रश्मि के पिता नाराज़ हैं। 3 साल बाद जब रश्मि और आसिफ़ उनकी 25वीं सालगिरह पर जाते हैं, तो आसिफ़ की एक लाइन से पिता श्री का गुस्सा शांत हो जाता है। अचानक ही आसिफ़ के अंदर किसी की आत्मा आ जाती है और वो अजीबोगरीब हरकतें करने लगता है। भूत प्रेत में विश्वास ना रखने वाले आसिफ़ पर किस आत्मा का साया है, फ़िल्म उस पूरी कहानी को बताती है।
‘कंचना’ के बाद ‘लक्ष्मी’ को देखने में वो वाला मज़ा नहीं मिलता। हालांकि डायरेक्टर वही हैं, तो साउथ इंडियन टच मिलता रहेगा। स्क्रीनप्ले अगर दमदार होता, तो प्लॉट सही था। कभी कभी कहानी बहुत ढीली हो जाती है, तो कभी कभी हॉरर भी कॉमेडी ही लगने लगता है। फ़िल्म के पहले सीन में जब ढोंगी बाबा की पोल पट्टी खुलती है, तो लगता है कि कुछ बहुत अच्छा होने वाला है, पर फर्स्ट हाफ तक कहानी खिंचती हुई सी ही लगती है। अक्षय का एक डायलॉग कि ‘मैं भूत देखूंगा, तो चूड़ियॉं पहन लूंगा’, सुनने में एक सोच को ही बताता है। कुछेक सीन्स को छोड़ दें, तो बहुत असरदार सीन्स देखने को नहीं मिलते। सिनेमेटोग्राफी अच्छी है फ़िल्म की। ‘बुर्ज ख़लीफा’ वाला गाना सुनते सुनते अच्छा लगेगा। क्लाइमैक्स में ‘बम भोले’ गाना असरदार है।
अक्षय अपने किरदार में अच्छे लगे हैं। बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशन्स उनके कमाल के हैं पर कहीं ना कहीं उनका राउडी राठौड़ निकल ही जाता है। कियारा आडवाणी सुंदर लगी हैं, हाव-भाव भी बैलेंस में दिया है। अश्विनी कलसेकर और आयशा रजा का काम अच्छा है, पर कहीं कहीं इनकी ओवर एक्टिंग परेशान करती है। राजेश शर्मा और मुनि ऋषि अच्छे लगे हैं, पर टैलेंट के हिसाब से रोल इनके बहुत कम थे। मीर सरवार का रोल भी कम था, पर छाप छोड़ गए। ‘लक्ष्मी’ में मुझे जिसका काम सबसे ज़्यादा पसंद आया, वो हैं शरद केलकर। बोलने-चलने का तरीका हो या चेहरे के हाव भाव, शरद ने कमाल कर दिया है। फाइटिंग वाले सीन में भी उन्होंने एक सेकेंड के लिए भी अपने किरदार को नहीं छोड़ा है। फ़िल्म में उनका सरप्राइज़ पैकेज फुल पैसा वसूल है।
हंगामा बहुत था इस फ़िल्म को लेकर, पर कहीं ना कहीं फ़िल्म देखने के बाद वो बस हंगामा ही लग रहा है। अक्षय के फैन हैं या शरद केलकर की शानदार परफॉर्मेंस को देखना चाहते हैं, तो ‘लक्ष्मी’ देख सकते हैं।