सुनो ना,
मुमकिन क्या है?
प्रिये,
जो तुम्हें कभी नहीं मिला
उसका मिलना है मुमकिन
जिसकी चाह पलती हो
वो मुलाक़ात है मुमकिन
जो सपने ऑंखों ने देखे
उसे पूरा करना है मुमकिन
जैसी ज़िंदगी सोची है
उसको पाना है मुमकिन
इश्क़ का होना, दिल का टूटना
गिरना, संभलना, रोना, हंसना
सब कुछ है मुमकिन
सुनो ना,
फिर वो क्या,
जो नहीं है मुमकिन
प्रिये,
जिसे पाकर तुमने खो दिया
उसका मिलना नहीं है मुमकिन
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