तुम हो नहीं…तुम नहीं हो….


‘ये रास्ता कितना पथरीला सा है ना’…मैं अपने कदमों को संभालती हुई चल रही थी। तुमने मुझे सहारा दिया और कहा कि ‘हाँ, है तो सही पर फिसलोगी नहीं इसपे, ना ही फिसलने दूंगा..ये मेरी गैरेंटी है’…कहते हुए तुमने मेरा हाथ पकड़ा और फिर हम दोनों ही बिना कुछ एक दूसरे को कहे चलने लगे।

‘पता है, मैं इन रास्तो पे कभी नहीं चली। I mean …ऐसे रास्तों पर…’-जल्दी से मैंने अपनी बात संभाली। तुम चलते चलते मुझे देखने लगे। सड़क की तरफ देखते हुए तुमने अपना सवाल दागा – ‘डर तो नहीं लग रहा तुम्हें? वैसे सच कहूँ, तो तुम्हारी इन बातों पे मन करता है कि बस, पकड़ के…’. मैं चलते चलते रुकी…ज़बरदस्ती का गुस्सा करते हुए पूछा कि थप्पड़ खाना है क्या तुम्हें? तुमने भी बेशर्मी दिखाते हुए कहा कि हाँ…अपने मुलायम नाज़ुक हाथों से छुओ ना। मैं हंस पड़ी ये कहते हुए कि कितने बेशर्म हो ना तुम…

मम्मी, मैं खेलने जाऊँ…मेरे सारे दोस्त आ चुके हैं। अमायरा ने आ कर जब मेरी साड़ी का पल्ला खींचा तो मैं पुरानी यादों से बाहर आई। ‘हाँ जाओ…पर जल्दी आ जाना, बहुत सारा होमवर्क बचा हुआ है तुम्हारा। अमायरा को नसीहत देते हुए मैंने विदा किया। उसके जाने के बाद मैं किचन में जाकर काम करने लगी और एक बार फिर से जेहन में तुम थे।

‘इतने दिन हो चुके हैं, तुम हो कहां पर यार?’ ऑफिस से घर आते हुए जैसे ही मेरे नंबर पर मैंने तुम्हारा फोन कॉल देखा, ये लाइन अपने आप मेरे मुंह से निकल गई। ‘ऑस्ट्रेलिया गया था। कुछ काम था, इसलिए नहीं कर पाया’। मैं हैरां सी देखने लगी। ‘हां तो…इतने दिन तक मेरी खोज ख़बर नहीं ली और फिर कहते हो कि मुझसे प्यार करते हो?‘ मैंने गुस्सा ज़ाहिर करने की कोशिश की। ‘हां तो…बिज़ी था‘….कहकर बेरुखी से तुम अपना काम करने लगे थे और मैं बस चुप सी रह गई थी।

‘अच्छा सुनो…हम शादी कर लेते हैं अब। बहुत लंबा वक्त हो गया ऐसे…और फिर मुझे एक चांद जैसी बेटी भी तो चाहिए।‘ एक दिन शाम को पार्क में टहलते हुए मैंने तुम्हारे हाथों को पकड़ कर कहा। तुम चुप रहे। थोड़ी देर बाद तुमने कहा कि हां…मेरी एक बेटी तो पहले से भी है। मैं एक टीस के साथ शांत रही। बताया था तुमने कि मुझसे पहले तुम जिसके साथ रिश्ते में थे, उसने कहीं और शादी कर ली थी। शादी के कुछ समय बाद उसने एक बेटी को जन्म दिया और तुम्हें कहा कि वो तुम्हारी है। पता है….पहली बार जब तुमने ये बात मुझे बताई तो मैं बहुत अजीब सी सोच में उलझ गई थी। ‘तुम्हारी बेटी मतलब? और तुमने भरोसा भी कर लिया उसकी बात का? अगर वो तुम्हारी ही बेटी थी तो तुमसे शादी क्यों नहीं की उसने?’… मैं शायद इस बात को पचा नहीं पा रही थी। तुमने मुझे कारण दिया कि उसके मां-बाप का प्रेशर था…तो सुनो ना…प्रेशर तो मेरे ऊपर भी है…चलो ना शादी कर लेते हैं…तुम उठ कर चले गए थे मेरी इस बात पर…

‘मम्मा…आपको पता है, अबसे मैं अक्षित के साथ कभी नहीं खेलने जाऊंगी।‘ 2 घंटे बाद अमायरा खेल कर आ चुकी थी। ‘क्यों? क्या हुआ? कुछ कहा क्या उसने?’ मैं अमायरा को गोद में बैठा कर प्यार करने लगी। ‘नहीं मम्मा…वो हमेशा कहता है कि मैं अच्छी लड़की नहीं हूं, इसलिए मेरे पापा मेरे साथ नहीं रहते…ऐसा नहीं है ना मम्मा…वो कहीं बहुत दूर हैं ना, और उन्हें टिकट नहीं मिल पा रही आने के लिए। है ना?’…बिल्कुल सही कहा…जैसे ही उन्हें टिकट मिलेगी, वो आ जाएंगे…कहकर मैंने अमायरा को खाना खिलाया और एक नए किस्से के साथ सुलाया।

‘सुनो…I am pregnant…चलो ना…शादी कर लेते हैं।‘ डॉक्टर के पास से आते ही मैंने तुमसे ये बात कही। तुम झल्ला गए थे। मैं अभी नहीं कर सकता। समझती क्यों नहीं हो पर मैं आउंगा तुम्हारे पास ही। पिल्स क्यों नहीं लिया तुमने? मेरी ही गलती है। मेडिकल स्टोर पर जाने का वक्त ही नहीं मिला मुझे। मैं भरी आंखों के साथ तुम्हें देखने लगी। मैंने जाने का मन बनाया और तुम्हें बकायदा बता कर मुंबई आ गई। फिर अमायरा मेरी ज़िंदगी में आई। सब कुछ ठीक चल रहा है। कोई दिक्कत नहीं। तुम अपनी कमज़ोरी और दो बेटियों के होने के एहसास के साथ रह रहे हो और मैं अमायरा के साथ। मैं तुम्हारी उस गर्लफ्रेंड की तरह शादी नहीं कर पाई पर मां ज़रूर बन गई।

मैं कोशिश करती हूं दीपिका के ‘My Choice’ वीडियो को समझने की…मैं कोशिश करती हूं women empowerment को समझने की…मैं कोशिश करती हूं आज की नारी बनने की…मैं कोशिश करती हूं अमायरा के सवालों के जवाब ढ़ूंढ़ने की…

तुम हो नहीं…तुम नहीं हो….

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