‘संजू’ फ़िल्म रिव्यू


संजय दत्त, जिसने ड्रग्स भी लिए, जो वुमेनाइज़र भी है, जिसे लोगों ने आतंकवादी भी कहा, जो जेल में भी रहा, जिसकी ज़िंदगी उतार-चढ़ाव से भरी रही- राजकुमार हीरानी ने उन्हीं की बायोपिक बना कर ‘संजू’ के रूप में हम सबके सामने परोस दी है। संजय दत्त की ज़िंदगी का लगभग सब कुछ जाना-सुना और देखा हुआ था, एक खुली किताब भी कह सकते हैं पर राजकुमार हीरानी के तरीके ने उन्हीं बातों को एक अलग ही अंदाज़ में दिखाया और समझाया। अभिजात जोशी के साथ मिलकर राजकुमार हीरानी ने जितने अच्छे तरीके से इस स्क्रिप्ट को लिखा है, उसने कहानी को एक अलग ही अंदाज़ दिया है। लंबे समय बाद ऐसी बायोपिक देखने को मिली, जिसका ट्रीटमेंट बहुत ही ज़्यादा रोचक है।

कहानी संजय दत्त के जेल जाने की ख़बर से शुरू होती है और जेल से बाहर आने पर ख़त्म। बीच में संजू की ज़िंदगी कि उन हलचलों को दिखाया गया है, जिसकी वजह से वो ख़बरों में रहे, उनकी फैमिली परेशानी में और ज़िंदगी तबाही में।

रणबीर कपूर ने संजय दत्त के रोल को जिस खूबसूरती के साथ निभाया है, वो तालियों के, तारीफों के और अवॉर्ड के हकदार बनते हैं। हमेशा से मुझे ऐसा लगता है कि रणबीर एक ऐसे कलाकार हैं, जिनके साथ आप हंस सकते हैं और जिसके रोने पर आप रो भी सकते हैं। चेहरे पर एक अलग तरह की मासूमियत तो ऑंखों में एक अलग तरह की शैतानी और इन दोनों ही चीज़ों ने रणबीर को संजू का किरदार निभाने में मदद की है। अभी तक की सबसे अच्छी एक्टिंग भी उनकी कह सकते हैं। चाहे कोई कॉमेडी सीन हो, या फिर ड्रग्स की हालत में कोई ब्लंडर करने वाला सीन हो, मॉं के जाने पर दर्द दिखाना हो, या अपने पापा के लिए ‘थैंक्यू’ स्पीच पढ़ना हो, रणबीर हर सीन में दिल और दिमाग तक पहुंचते हैं। रॉकी की शूटिंग से लेकर जेल में वक्त बीताने तक की हर घड़ी में उन्होंने खुद को इस तरह दर्शाया है, जैसे उन सब तकलीफों को उन्होंने जीया हो और यही बात रणबीर की एक्टिंग को नए आयाम तक भी पहुंचाती है। जितनी भी तारीफ की जाए इस फ़िल्म में उनकी एक्टिंग की, शायद वो कम ही हो। संजय दत्त के किरदार में उन्होंने ख़ुद को पूरी तरह ढाला है।

फ़िल्मों में अक्सर देखा गया है कि बेटे ने ग़लती की और बाप ने घर से निकाल दिया। सुना है कि इन फ़िल्मों में जो कलाकार काम करते हैं, उनकी ज़िंदगी में भी रिश्तों के मायने कुछ ख़ास नहीं होते, पर ‘संजू’ इन सब सुनी और दिखाई गई बातों से परे है। परेश रावल ने निभाया है सुनील दत्त का किरदार। हर हाल में बेटे की चिंता करने वाले और साथ देने वाले पिता के रोल में वो जंच रह हैं। परेश रावल के डायलॉग्स में एक अलग तरीके का गुजराती टच आता है पर भाव के मामले में वो कमाल कर गए हैं। विक्की कौशल का काम भी बेजोड़ है। हर हालत में साथ रहने वाले दोस्त कमलेश के रुप में वो दिल तक पहुंचते हैं। जिम सरभ के किरदार पर गुस्सा आता है तो वही उनकी एक्टिंग अच्छी लगती है। दिया मिर्ज़ा, सोनम कपूर, अनुष्का शर्मा, मनीषा कोईराला, बोमन ईरानी- इन सबके रोल कम थे, पर उसी कम समय में इन लोगों ने अपनी जगह बना ली है फ़िल्म के अंदर।

अगर आप संजय दत्त और रणबीर कपूर के फैन हैं, लंबे इंतज़ार के बाद राजकुमार हीरानी का एक और मास्टरपीस देखना चाहते हैं तो इस फ़िल्म को ज़रूर देखिए।

 

2 thoughts on “‘संजू’ फ़िल्म रिव्यू

  1. बहुत अच्छी ईमानदार समीक्षा ।

  2. Bahut badhiya movie , Sanjay Dutt ki Jo bhi kahani hai poore Desh ke samne ik khuli Kitab hai,aise bahut Kam hi honge jo apani buraiyon Ko dikhate honge .itana kuch Bura hone ke Baad bhi vo Hara nahi zindagi se aur ubhar kar samne Aya .
    Usane to khule – aam bataya apane bare main ,log to yahi kaam chhupa chhup kar karte hain .
    Bahut bahut Salaam & best wishes to Sanjay Dutt & his family .
    I m a big fan of him ,love you sanju baba 👏👏👍 u r the real hero .

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