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हम सब कहते रहते हैं कि ‘life is very unpredictable’c पर फिर भी लाइफ की वैल्यू नहीं करते। हमारे दिमाग में भी नहीं आता कि किसी दिन डॉक्टर ने कह दिया कि अब आपके पास इतने साल या महीने या दिन बचे हैं तो क्या होगा? शायद उस समय भी हम डिप्रेशन में जाएंगे या परेशान होंगे या डरेंगे, पर उसको सेलिब्रेट करने का ख़्याल शायद ही आए। इसी महत्वपूर्ण बात को बताया है शोनाली बोस ने, अपनी फिल्म ‘the sky is pink’ में।
कहानी मूज़, पांडा और ज़िराफ की है। कहानी आयाशा चौधरी की है, एक ऐसी लड़की, जिसके पैदा होने से ही उसकी बॉडी में इम्यून सिस्टम नहीं है। थोड़ी बड़ी होने पर उसको लंग्स की प्रॉब्लम होती है, जो लाइलाज़ है। अंत क्या होता है, ये हम सब जानते हैं। कहानी सच है, हम सबको इसके बारे में पता भी है, हम सबने इसके बारे में पढ़ा या सुना है, पर जब इसको देखते हैं तो सब जानने के बाद भी सब कुछ नया लगता है। आयशा का मोटिवेशनल स्पीकर बनना और फिर एक लिख डालना बहुत ज्यादा इंस्पायर करता है।
शोनाली बोस ने जूही चतुर्वेदी और नीलेश मनियार के साथ मिलकर इतनी खूबसूरती से इस फ़िल्म में सारे एक्सप्रेशन डाले हैं, जिसकी तारीफ बनती है। लाइफ को मैमोरेबल बनाना कितना ज़रूरी है, ये फ़िल्म बताती है। ज़िंदगी के जिन पलों में आप पूरी ज़िंदगी जी ले, ऐसे पल कम आते हैं, ऐसे पल बनाने पड़ते हैं। सच्ची कहानी है, कैरेक्टर्स के नाम भी रियल रखे गए हैं, डेट्स और प्लेस भी। आयशा के माता पिता अदिति और निरेन का स्ट्रगल आपके दिल तक पहुंचता है। आप भी अपने मन में वो सारी कोशिशें करने लग जाते हें, जो पर्दे पर वो कर रहे हैं और यही बात इस फिल्म को बहुत खूबसूरत बनाती है। कहानी की शुरूआत आयशा की आवाज के साथ होती है, जिसे सूत्रधार कर सकते हैं और बीच। बीच में उसका voice over कहानी को और ज़्यादा इंट्रेस्टिंग ही बनाता है। लंबाई थोडी कम की जा सकती थी, पर कहानी इस कमी को बहुत महसूस नहीं होने देती।
आयशा की मॉं अदिति के रोल में प्रियंका चोपड़ा जमी हैं। हिम्मत नहीं हारना, अपनी बेटी को वो सारी चीजें देना, जो उसकी उम्र की लड़कियों को मिल सकती हैं, बेटी को बचाने की ज़िद, इन सारे ही एक्सप्रेशन में वो कमाल की लगी हैं। फिल्म के साइलेंट मूवमेंट्स में वो जान डालती हैं। फरहान अख्तर भी निरेन चौधरी के रोल में फिट हैं। उनकी मेहनत दिखती है। बाप की बेबसी को बहुत अच्छे से प्ले किया है। आयशा के रोल में ज़ायरा वसीम सारे ब्राउनी प्वाइंट्स लेकर गई हैं। इतना नैचुरल फ्लो है उनकी एक्टिंग में, जो देखने को कम मिलता है। उनके एक्सप्रेशन, एक्टिंग, voice over सब कुछ बहुत कमाल का है। आयशा के भाई ईशान के रोल में रोहित सर्राफ का काम भी अच्छा है।
गुलज़ार ने गाने लिखे हैं, प्रीतम का म्यूज़िक है और अरिजीत की आवाज़ है, तो कुल मिलाकर ये एक अच्छा कॉम्बिनेशन है, जो सुनने में कानों को अच्छा लगता है।
किसी कि ज़िंदगी की सच्चाई है, जिसे बहुत ही खूबसूरत तरीके से दिखाया है, तो देख लीजिए। जान लीजिए कि बर्थ डे हो या डेथ डे, सेलिब्रेशन तो बनता है। शायद ये फ़िल्म देखकर समझ आ जाए कि ज़िंदगी जितनी भी है, जी लीजिए और डकार भी ले लीजिए।