थोड़ा थोड़ा डराती ‘भूत’


एक शिप, जिसका नाम ‘Sea Bird’ है, वो एक दिन अचानक ही मुंबई के जुहू बीच पर आकर खड़ी हो जाती है। शिप में कोई नहीं है। कई लोग उसको हॉन्टेड शिप मानते हैं। शिपिंग ऑफिसर पृथ्वी जॉंच पड़ताल करने के लिए वहॉं जाता है और फिर शुरू होता है डर का खेल।

‘भूत-पार्ट वन, द हॉन्टेड शिप’, डेब्यूटेन्ट डायरेक्टर भानु प्रताप सिंह ने इसे बनाया है। राम गोपाल वर्मा के प्रति उन्होंने शुरू में ही अपना आभार प्रकट कर दिया है।उन्हीं से इंस्पायर होकर शायद ये फ़िल्म बनी हो। शिप का मुंबई के बीच पर आकर लगना एक सच्ची घटना है। इसी में हॉरर का तड़का लगाकर इस फ़िल्म को बनाया गया है। फ़िल्म के फर्स्ट सीन से ही भानु ने कोशिश की है कि वो ऑडियंस के बीच एक डर पैदा कर सकें। फर्स्ट हाफ तक वो उसमें कामयाब भी होते हैं, पर फ़िल्म के दूसरे हाफ में वो डर जाने लगता है। अच्छी बात ये है कि कम से कम इस फ़िल्म में एक कहानी है। पुष्कर सिंह की सिनेमेटोग्राफी बहुत अच्छी है। उनके कैमरा वर्क ने कुछेक सीन्स को मजबूत किया है।

हॉरर फ़िल्मों में कुछेक चीज़ों के लिए आपको तैयार रहना चाहिए। अंत तक आते आते कुछेक मंत्र आपको सुनाई देंगे। ‘हमें उसकी बॉडी को जलाना होगा’, ऐसी लाइन सुनाई देगी। ‘भूत’ फ़िल्म भी इन सबसे बच नहीं पाई है। हर बार की तरह इस बार भी, इन सीन्स में भी हंसी आएगी।

विक्की कौशल के कंधों पर ही इस पूरी फ़िल्म का बोझ था। हॉरर जॉनर में ये उनकी पहली फ़िल्म है, काम भी उन्होंने अच्छा किया है। पर स्क्रिप्ट में कई जगह दोहराव है और इसीलिए विक्की कौशल के एक्सप्रेशन में भी वो रिपिटेशन दिखता है। प्रोफेसर जोशी के रोल में आशुतोष राणा हैं, पर मंत्र पढ़ने के अलावा उनके हिस्से कुछ नहीं आया है। भूमि पेडनेकर का काम ज़रा सा था, पर वो उसमें भी रंग जमा कर गई हैं।

अब ये पार्ट वन है तो ज़ाहिर सी बात है कि पार्ट टू भी आएगी ही। वो देखनी है या नहीं, इस फ़िल्म के बाद डिसाइड कर सकते हैं। हॉरर फ़िल्में पसंद हैं तो इसे एक बार देखा जा सकता है।

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