ढूंढते हैं…


ढूंढते हैं,
कभी किसी आवाज़ में
कभी किसी की साज़ में
ढूंढते हैं,
कभी चाय के स्वाद में
कभी किसी की बात में
ढूंढते हैं,
कभी किसी परफ़्यूम में
कभी मीटिंग ज़ूम में
ढूंढते हैं,
कभी किसी सफ़र में
कभी किसी शहर में
ढूंढते हैं,
कभी किसी की आहट में
कभी किसी की राहत में
ढूंढते हैं,
कभी किसी मुलाक़ात में
कभी किसी किसी रात में
ढूंढते हैं,
कभी किसी मुस्कान में
कभी किसी के मान में
ढूंढते हैं,
कभी गुज़रती कार में
कभी दूसरों के वॉर में
ढूंढते हैं,
कभी किसी कॉम्पलिमेंट में
कभी किसी के कमेंट में
ढूंढते हैं,
कभी रास्तों के मोड़ में
कभी रिश्तों के जोड़ में
ढूंढते हैं,
कभी किसी के प्यार में
कभी किसी ऐतबार में
ढूंढते हैं,
कभी खाने के स्वाद में
कभी किसी मिली दाद में
ढूंढतें हैं…
हम ढूंढते ही रहते हैं…
कभी कभी पूरी ज़िंदगी
कभी कभी उसके बाद भी…

2 thoughts on “ढूंढते हैं…

  1. Very true.. ढूंढ़ते – ढूंढ़ते खुद को भूल जाते हैं ❤️

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