खुद से निकलने नहीं देगा ‘पाताललोक’


वैसे तो ऑनलाइन बहुत सारी सीरिज़ हैं, जो इस लॉकडाउन पीरियड को गुज़ारने में मदद कर रही हैं, पर अगर ऐसी कोई सीरिज़ आ जाए, जिसमें कहानी, एक्टिंग, डायरेक्शन, डायलॉग्स और टैक्निकल पार्ट, सब कुछ मजबूत हो, तो बस बात बन जाती है। ऐसी ही एक सीरिज़ आई है अमेज़ॉन प्राइम पर, जिसका नाम है ‘पाताललोक’। इस सीरिज़ की प्रोड्यूसर हैं अनुष्का शर्मा और इसे डायरेक्ट किया है अविनाश अरूण और प्रोसित रॉय ने।

हाथीराम चौधरी पुलिस में है और उसकी पोस्टिंग दिल्ली के आउटर जमुनापार थाने में है। कहानी की शुरूआत में ही हाथीराम, वॉट्सऐप से मिली जानकारी को बताते हुए कहता है कि दुनिया में तीन लोक हैं। स्वर्ग लोक, जहॉं पैसे वाले लोग रहते हैं। धरती लोक, जहॉं वह रहता है और पाताललोक, जहॉं उसकी पोस्टिंग हुई है। उसी पोस्टिंग के अंदर ख़ास ऑपरेशन में चार लोगों को पकड़ा जाता है, जिनके ऊपर मीडिया के बहुत ही फेमस पर्सनालिटी संजीव मेहरा की हत्या का इल्ज़ाम लगता है। ये केस सौंपा जाता है हाथीराम चौधरी को। हाथीराम को ज़िंदगी में पहली बार इतना बड़ा हाई प्रोफाइल केस मिलता है। उसे लगता है कि इस केस को सुलझा कर वो अपने डिपार्टमेंट और परिवार को बता कर रहेगा कि वो हीरो है। केस और हाथीराम, दोनों का अंजाम देखने के लिए ‘पाताललोक’ देखिए।

‘पाताललोक’ की कहानी एक ऐसी कहानी है, जो समाज की सच्चाई को दिखाती है। सिस्टम का करप्शन हो या मीडिया की दुनिया, हर पहलू को खुलकर दिखाया गया है। सुदीप शर्मा की क्राइम थ्रिलर वाली ये कहानी आपको पूरी तरह बंध कर रखेगी। बढ़ते एपिसोड्स के साथ धीरे धीरे इसमें कैरेक्टर्स से मिलवाया जाता है और आप कहानी में घुसते चले जाते हैं। डायलॉग्स बहुत अमेज़िंग है। भाषा का पूरा ध्यान रखा गया है। लोकेशन के हिसाब से ही लोकल भाषा का इस्तेमाल है।डायरेक्शन कमाल का है, जो आपको कहानी से भटकने नहीं देगा। कहीं कहीं गालियॉं थोड़ी ज़्यादा लगेंगी और कुछेक सीन्स थोड़े लाउड भी लगेंगे, पर कहानी इस तरीके से बॉंध कर रखती है कि ये चीज़ें आसानी से इग्नोर हो जाती हैं। कैमरा वर्क बहुत कमाल का है तो वही एडिटिंग ने कहानी को कहीं भी लूज़ नहीं होने दिया है।

‘पाताललोक’ में सारे किरादरों की अलग कहानी है और उनकी एक्टिंग भी बेमिसाल है। जयदीप अहलावत ने हाथीराम चौधरी के किरदार में जान डाल दी है। इतनी स्वाभाविक एक्टिंग की है उन्होंने, जिसे देखकर यकीं होता है कि इस रोल के लिए वो पूरी तरह फिट थे। गुस्सा, बेबसी, चिढ़, प्यार सारे भाव बहुत अच्छे से दिखाए हैं। जयदीप के साथ ही उनके जोड़ीदार इश्वाक सिंह का काम भी बहुत अच्छा रहा है। हर समय अपने सर के साथ रहना, उन्हें सपोर्ट करना, अपने कौम को लेकर ताने सुनने के बाद भी सहज रहने का किरदार उन्होंने सही निभाया है। नीरज काबी जर्नलिस्ट के रोल में पूरी तरह फिट बैठे हैं। किरदार में घुसकर एक्सप्रेशन्स सही आए हैं। हथौड़ा त्यागी बने अभिषेक बेनर्जी ने मुंह से कुछ नहीं बोला है, पर चेहरे के भाव से उन्होंने कमाल किया है। गुल पनाग भी हाउस वाइफ के रोल में अच्छी लगी हैं। इसके अलावा स्वास्तिका मुखर्जी, निहारिका लायरा दत्त, राजेश शर्मा और बाकी सारे सपोर्टिंग कास्ट का काम अच्छा है।

अगर आपको क्राइम थ्रिलर पसंद है, तो वक़्त निकाल कर इसे ज़रूर देखिए, पर बच्चों के बिना।

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