नाकमयाब कोशिश है ‘बेताल’


नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो चुकी है एक हॉरर सीरिज़, जिसका नाम है ‘बेताल’। शाहरुख़ ख़ान के रेड चिलिज़ प्रोडक्शन में बनी इस चार एपिसोड की वेब सीरिज़ को डायरेक्ट किया है पैट्रिक ग्राहम और निखिल महाजन ने।

कहानी एक आदिवासी गॉंव की है। उस गॉंव में एक टनल है, जिसको खोलकर हाईवे से जोड़ना है, पर गॉंव वाले इस बात के लिए तैयार नहीं। गॉंव को खाली करवाने के लिए बाज स्क्वाड नाम की एक स्पेशल फोर्स वहॉं पहुंचती है और उसके बाद जो होता है, उसे सीरिज़ में ही देखना ठीक रहेगा।

नेटफ्लिक्स पर ‘घोउल’ और ‘घोस्ट स्टोरीज़’ को पहले ही नापसंद किया जा चुका है और अब ‘बेताल’ ने इस लाइन में हैट्रिक लगा दी है। ‘बेताल’ की शुरूआत में आदिवासियों की अजीबोगरीब भाषा दिखाई गई है, जो ‘बाहुबली’ की याद दिलाती है। पहली बार इसमें ब्रिटिश जॉम्बी दिखाए गए हैं, पर हैं तो जॉम्बी ही, जिसे देखकर अब ऊबन होती है। कहानी बहुत कमज़ोर लगी है। कहने के लिए चार ही एपिसोड्स हैं, पर वो इतने स्लो हैं कि कहीं कहीं बोरियत होती है। होने के लिए ये हॉरर सीरिज़ है, पर डरा नहीं पाती। ये इस बात को भी नहीं समझा पाएगी कि एक कॉन्ट्रैक्टर पूरी स्पेशल फोर्स को कमांड कैसे दे सकता है। काला जादू टोना, भूत, इंफेक्शन का सहारा लेकर कहानी को बढ़ाया जाता है, पर बात वही है कि हॉरर के नाम पर कुछ भी थोड़े ही ना दिखाया जा सकता है। जॉम्बीज के साथ लड़ाई वाले एक सीन में में मिलिट्री स्कॉड कहता है कि ‘ अंग्रेज़ों ने हमारी नौकरी चुराई, सोना चुराया, ज़मीन चुराई और अब ये हमारे भूत भी चुराएंगे’, इस डायलॉग को सुनकर बहुत हंसी आएगी। कैमरावर्क और बैकग्राउंड म्यूज़िकअच्छा है पर कहानी में इंवॉल्व ना होने की वजह से वो भी बहुत इंपैक्ट नहीं छोड़ता।

एक्टिंग की बात करूं तो विनीत कुमार बहुत बेहतरीन कलाकार हैं, पर इस सीरिज़ में वो थोड़े कंफ्यूज़ ही नज़र आए हैं। विक्रम सिरोही का किरदार देखकर बस ये बात समझ में आई कि उनका नाम विक्रम क्यों रखा गया। कमज़ोर कहानी ने विनीत के टैलेंट को दबा कर रख दिया। अहाना कुमार का काम ठीक था, पर उनके हिस्से कुछ था नहीं। उनके आधे जले चेहरे का राज़ भी सीरिज़ में पता नहीं चलता। सुचित्रा पिल्लई का भी रोल कुछ ख़ास नहीं था, पर वो अपने रोल में ठीक रही हैं। मनर्जी ने आदिवासी औरत के रूप में ठीक काम किया है पर मज़ेदार बात ये है कि पूरे गॉंव की भाषा अलग है और पुनिया उर्फ मनर्जी की पूरी ही अलग। जीतेंद्र जोशी की एक्टिंग ठीक रही।

इस सीरिज़ का अंत, नई सीरिज की संभावना के साथ किया गया है, पर दूसरी कोशिश इन्हें नहीं करनी चाहिए।

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