सॉंस नहीं ले पाती ‘ब्रीद:इन्टू द शैडोज़


अमेज़ॉन प्राइम पर नई सीरिज़ ‘ब्रीद: इनटू द शैडोज़’ आ चुकी है, जिसे डायरेक्ट किया है मयंक शर्मा ने। अभिषेक ए बच्चन ने इस सीरिज़ से किया है डिज़िटल डेब्यू। वैल अब अभिषेक का नया नाम यही है।

कहानी कुछ ऐसी है कि अभिषेक सभरवाल और उनकी बीवी आभा, अपनी 6 साल की बेटी सिया के साथ रहते हैं। अचानक ही एक दिन सिया ग़ायब हो जाती है। फिर होने लगते हैं शहर में कुछ मर्डर्स। इस केस को सुलझाने का काम मिलता है ‘ब्रीद’ सीज़न 1 के इंस्पेक्टर कबीर सावंत को, जो अब मुंबई से दिल्ली आ चुके हैं। कैसे सुलझेगी ये मर्डर मिस्ट्री और सिया का क्या होगा, इन सब बातों के लिए 12 एपिसोड्स की ये सीरिज़ आपको देखनी होगी।

एक बात तो तय है कि जब भी कोई सीरिज़ 2 पार्ट्स में आएगी, तुलना तो होगी। ‘ब्रीद’ के साथ भी यही है। पहला सीज़न जिस तरह से बांधे रखने में कामयाब था, आर माधवन ने जिस तरह कहानी को पकड़ रखा था, ‘ब्रीद 2’ में वो पकड़ थोड़ी ढीली लगती है। हालांकि बता दूं कि इस सीज़न का पहले सीज़न से कोई लेना देना नहीं है। अगर आपने पहला सीज़न नहीं देखा है, तो भी आप इस सीज़न को देख सकते हैं। इस सीज़न में हैं 12 एपिसोड्स, यानि 9 घंटे देने के बाद भी आपका दिमाग ये कहे कि यार! बहुत मज़ा नहीं आया तो समझ जाइए कि कहानी कैसी होगी। सीरिज़ की शुरुआत में मेडिकल स्टूडेंट गायत्री का किडनैप होता है लगने लगता है कि कुछ बहुत अलग कहानी और मिस्ट्री होगी, पर जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है, वो धीमी होती जाती है। बीच बीच के कई एपिसोड्स भी ढीले और खींचे हुए लगते हैं। कुछेक एपिसोड्स में ट्विस्ट डाल कर उसको इंट्रेस्टिंग बनाने की कोशिश की गई है। साइको क्राइम थ्रिलर में स्पीड महत्वपूर्ण है, पर इस सीरिज़ में वही ग़ायब है। रावण वाला कॉन्सैप्ट भी हजम नहीं होता। वैल, कुछ अच्छी बातें भी हैं। सीरिज़ के छठें एपिसोड में सस्पेंस खोलने के बाद भी मन में ये उत्सुकता तो रहती है कि कैसे हुआ या आगे क्या होगा। पास्ट और प्रेज़ेंट की कहानी को जोड़ने का तरीका भी अच्छा है।

अभिषेक ए. बच्चन का डिज़िटल प्लेटफॉर्म पर डेब्यू है। काम उनका अपनी जगह सही है। अमित साध भी पहले सीज़न से ज़्यादा इम्पैक्टफुल इसमें लगे हैं। बोला कम है, पर एक्सप्रेशन्स सहीश दिए हैं। आभा के रोल में नित्या मेनन का काम भी सही है, पर अभिषेक और उनकी जोड़ी बहुत समझ में नहीं आई। एक बात तो मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि लीड रोल से ज़्यादा इस सीरिज़ में साइड कैरेक्टर्स ने काम बेहतरीन किया है। ह्रषिकेश जोशी की कॉमिक टाइमिंग बहुत मज़ेदार है। इवाना कौर, श्रीकांत वर्मा, प्लाबिता बोरठाकुर, सइय्यामि खेर, श्रुति बपना, रेशम श्रीवर्धन, श्रद्धा कौल, वरीन रूपानी, पवन सिंह, कुलजित सिंह जैसे सह कलाकारों का काम बेहतरीन है।

तो एक बार तो आप इस सीरिज़ को देख सकते हैं।

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